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Monday, January 30, 2017

मुरादाबाद ; बच्चों की उपस्थिति पर संकट के बादल, बुझ गए मिड-डे मील रसोई के चूल्हे,

 के करीब 60 स्कूलों में मिड-डे मील नहीं बनने से रसोई के चूल्हे ठंडे पड़ गए हैं। तेल, घी, मसाले और रसोई गैस तक खत्म हो चुकी है। दाल, सब्जी भी खरीदने के लिए रुपये नहीं हैं। जहां दोपहर का भोजन बन भी रहा है वहां राशन खत्म होने की कगार पर है। ऐसे हालात में बच्चों की उपस्थिति पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। सितंबर के बाद से मिड-डे मील के लिए खातों में रुपये नहीं भेजे गए। ग्राम प्रधान और प्रधानाध्यापक बीएसए कार्यालय में प्रार्थना पत्र देकर थक चुके हैं। जिले में कक्षा 8 तक के पंजीकृत दो लाख में से रोजाना औसतन 1.25 लाख बच्चे मिड-डे मील खाते हैं। इसके लिए राशन मिड-डे मील समिति के खाते में भेजी जाने वाली धनराशि से खरीदा जाता है। हर तीन महीने में कन्वर्जन लागत की धनराशि खाते में पहुंच जाती है। लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं हो रहा है। ऐसे में बुझ गए मिड-डे मील रसोई के चूल्हे
 है। मूढापांडे ब्लाक के सहकपुर पल्ला, कुंदरकी ब्लाक के मुहम्मदपुर बस्तौर, डिलारी ब्लाक के बहादुरगंज, देवापुर ग्राम पंचायत के प्राइमरी व जूनियर हाईस्कूल समेत तमाम स्कूलों में मिड-डे मील पिछले 15 दिनों से नहीं बन रहा है। कुंदरकी के कमालपुर-फतेहाबाद, मूढापांडे के वीरपुर थान, वीरपुर बरियार में भी यह बंद होने की कगार पर है। खातों में भेजे जाने हैं ढाई करोड़ रुपये: 2.50 करोड़ की धनराशि मिड-डे मील के खातों में भेजी जाती है। जिले में 1250 प्राइमरी और 704 जूनियर हाईस्कूल हैं। इनके अलावा अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों में भी कक्षा 8 तक के बच्चे मिड-डे मील ग्रहण करते हैं। एक साल में कई बार कन्वर्जन राशि समय से न पहुंच पाने के कारण मिड-डे मील बंद हो चुका है:

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