कहीं एक तो कहीं 65 शिक्षक
माध्यमिक शिक्षा निदेशक की ओर से शिक्षकों की संख्या मांगे जाने के आदेश के खिलाफ राजकीय शिक्षक संघ उतर आया है। संघ के अध्यक्ष पारस नाथ पाण्डेय ने फेसबुक पर इस आदेश की प्रति अपलोड कर इसे निदेशक द्वारा शिक्षकों के ट्रांसफर की सोची समझी चाल करार दिया है। उनकी मानें तो सरकार द्वारा वर्ष 1999 से राज्य विद्यालय में शिक्षक पदों पर भर्ती नहीं की है। इस अवधि में तमाम शिक्षक सेवानिवृत्त हुए। वर्ष 2012 में भर्ती प्रारम्भ हुई लेकिन तमाम फर्जी मार्कशीट वाले पकडे़ गए, जिससे पूरी भर्ती हो नहीं पाई। इसी अवधि में लगभग 1500 राजकीय हाई स्कूल खोले गए हैं । 254 हाईस्कूल उच्चीकृत भी हुए। इन स्कूलों में शिक्षण कार्य भी चल रहा है लेकिन विषय वार अध्यापक भर्ती न करके राजकीय इंटर कॉलेजों से समायोजित शिक्षकों से इन विद्यालयों में शिक्षण कार्य किया जा रहा है। इससे दोनों विद्यालयों में छात्र संख्या प्रभावित होती है और इसका दोष शिक्षकों पर डाला जाता है कि राजकीय विद्यालयों में शिक्षण कार्य में कोताही बरती जा रही। यह सुनियोजित ढंग से राज्य विद्यालयों को बदनाम करने की एक सोची समझी साजिश है।
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