संवाद सहयोगी, हाथरस : देश की आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी इस जिले में करीब 28 फीसद लोग निरक्षर हैं। शिक्षा से अछूते लोगों को साक्षर करने के लिए केंद्र व प्रदेश सरकारों ने तमाम कार्यक्रम चला रखे हैं, वहीं कुछ निजी संस्थाएं भी निरंतर प्रयासरत हैं, लेकिन परिणाम अपेक्षा के अनुरूप सामने नहीं आ रहे। जिले में 71.59 फीसद लोग ही साक्षर हैं। इनमें पुरुषों की साक्षरता दर 82.38 फीसद है तो महिलाओं की 59.23 प्रतिशत। 1निरक्षर लोगों को साक्षर करने के लिए साक्षरता मिशन के तहत भारत सरकार ने अभियान चला रखा है। गांवों में रहने वाले अशिक्षित लोगों को चिह्नित कर उन्हें लोक शिक्षा केंद्रों पर पढ़ाने की जिम्मेदारी प्रेरकों की है। प्रेरकों को इसके लिए सरकार मानदेय भी उपलब्ध करा रही है। पढ़ाई के लिए स्टेशनरी उपलब्ध कराई जाती है, लेकिन जिले में निरक्षरता खत्म ही नहीं हो पा रही है।1आंकड़ों में नही ड्राप आउट : हर साल प्राइमरी स्कूलों में सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्कूल चलो रैली आदि निकाली जाती है। अभियान के बाद भी बच्चे चाय की दुकान, कारखानों आदि में काम करते मिल जाएंगे। वैसे बेसिक शिक्षा विभाग के आंकड़े में ड्रापआउट बच्चे न के बराबर हैं। वर्ष 2016 के हाउस होल्ड सर्वे के मुताबिक जिले में केवल 107 ड्राप आउट बच्चे ही हैं। 114500 लोगों पर एक इंस्टीट्यूट : जिले की कुल जनसंख्या 18.25 लाख के करीब है, जिसमें 8.19 लाख महिलाएं व 10.06 लाख पुरुष हैं। जिले में डिग्री कॉलेज सहित उच्च शिक्षण संस्थान 129 हैं। इस तरह देखें तो साढ़े चौदह हजार की आबादी के हिस्से में एक उच्च शिक्षण संस्थान या इंस्टीट्यूट आता है। जिले में पिछले कई साल से इंजीनियरिंग व मेडिकल कॉलेजों की मांग हो रही है जो आज तक पूरी नहीं हो सकी है। यहां के प्रतिभाशाली छात्रों को पढ़ाई के लिए दूसरे जिलों में जाना पड़ता है।’>>पुरुषों की साक्षरता 82.38 फीसद व महिलाओं की सिर्फ 59.23 फीसद1’>>कई साल से चल रहा साक्षरता अभियान, सार्थक परिणाम नदारद
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