जागरण संवाददाता कासगंज: 2011 में जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में आधा दर्जन शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति मामले में तत्कालीन बीएसए पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। प्रशासन और पुलिस ने रिटायर्ड बीएसए को नोटिस भेजकर तलब किया है। वहीं भूमिगत हुए शिक्षकों की तलाश में पुलिस ने फरुखाबाद में छापेमारी की है।1छह साल पहले बेसिक शिक्षा विभाग में लगभग 150 शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी। उस समय विभाग में फर्जीवाड़ा हुआ और आधा दर्जन जालसाजों को फर्जीवाड़े के आधार पर नौकरी दे दी गई। इन शिक्षकों को पटियाली और गंजडुंडवारा ब्लॉक में तैनाती भी दे दी गई। दो साल बाद जब फर्जीवाड़े की जानकारी शासन को हुई, तो विभाग में खलबली मच गई। तब बीएसए रघुवीर सिंह ने एक बाबू को निलंबित कर जांच पर पर्दा डालने की कोशिश की, लेकिन बाद में शासन ने बीएसए को ही निलंबित कर दिया। उस समय न जाने किस तरह स्पष्टीकरण दिया कि जांच ठंडे बस्ते में चली गई। पिछले साल डीएम के. विजयेंद्र पांडियन के सामने जब यह प्रकरण आया, तो उन्होंने फर्जी शिक्षकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया और मामले की जांच तत्कालीन डीआइओएस भूरीसिंह को सौंप दी। तब डीआइओएस ने लिपिक नितिन को निलंबित करने की संस्तुति करते हुए जांच पूरी कर दी।1इसके बाद डीएम ने जांच एसडीएम संजय सिंह को सौंपी। जब तक एसडीएम संजय सिंह जांच कर पाते, उससे पहले ही शासन ने उनका ट्रांसफर कर दिया। तब से यह जांच थम गई। इस मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप भी हुआ। अब जब सत्ता का परिवर्तन हुआ है, तो फिर इस जांच ने फिर तेजी पकड़ ली है।पटियाली पुलिस ने तत्कालीन बीएस ए रघुवीर सिंह को नोटिस भेजकर जवाब-तलब किया है, लेकिन पूर्व बीएसए ने कोई रिकार्ड न होने के कारण जवाब देने से पहले दस्तावेज मांगे हैं। इधर, पुलिस फरार शिक्षकों की तलाश में जुटी है। एक टीम ने फरुखाबाद में संभावित क्षेत्रों में छापा मारा, लेकिन कोई भी हाथ नहीं लगा। यह सभी शिक्षक फरुखाबाद जिले के ही थे।1इन शिक्षकों को मिली नियुक्ति 1जालसाजी कर तैनाती पाने वाले शिक्षकों में फरुखाबाद के विमल कुमार, आनंद कुमार, गुमानराम, सतीश चंद्र, राघवेंद्र, दीपशिखा आदि शामिल है। इन शिक्षकों ने दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा किया था और मूल निवास प्रमाण पत्र भी गलत पते पर बनवाए थे। 1लेते रहे वेतन 1जालसाजी यहीं नहीं रुकी। विभाग की कारगुजारी से सरकारी धन का भी दुरूपयोग हुआ। दस्तावेजों के सत्यापन के बिना ही इन शिक्षकों को एक साल तक वेतन दिया गया और जब यह शिक्षक भाग गए, तो विभाग इनसे रिकवरी भी नहीं कर सका। 12010 में भी हुआ था खेल1बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़ा 2011 में कोई नया नहीं था। 2010 में 11 शिक्षकों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर विभाग में नियुक्ति दी गई। उस समय भी बिना सत्यापन के ही शिक्षकों को वेतन दे दिया गया। 2012 में डायट प्राचार्य ने मामला संज्ञान में आने पर शिक्षकों के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कराया था।1भेजे हैं नोटिस 1प्रकरण के जांच अधिकारी मुख्तयार सिंह ने बताया, तत्कालीन बीएसए और पटल लिपिक नरेश कुमार को नोटिस दिया गया है। फिलहाल अब तक इन लोगों ने नमूना हस्ताक्षर नहीं दिया है। हस्ताक्षरों का मिलान विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ में कराया जाना है
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