जागरण संवाददाता, बुलंदशहर : कमीशन खोरी के चक्कर में परिषदीय स्कूलों के छात्र-छात्रओं को मानक के अनुसार रिजल्ट का वितरण नहीं किया गया है। गत वर्षों के अपेक्षा रिजल्ट कार्ड का बहुत हल्का पेपर है। रिजल्ट कार्ड का साइज भी छोटा दिया गया है। आरोप है कि कमीशन के खेल में रिजल्ट की गुणवत्ता गिराई गई है।
बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्रओं की वार्षिक परीक्षा के बाद 31 मार्च तक रिजल्ट का वितरण किया जाना था, लेकिन अभी तक रिजल्ट कार्ड का वितरण नहीं किया गया है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि मुरादाबाद की एक फर्म को विभाग के अधिकारियों ने रिजल्ट का टेंडर दे दिया है। जिस तरीके के रिजल्ट कार्ड छपवाए गए हैं, उससे साफ है कि मोटा कमीशन खाया गया है। रिजल्ट कार्ड बहुत हल्का है। कागज की तरह दिखाई दे रहा है। गुणवत्ता इतनी खराब है कि बिना मोड़े हुए ही अपने आप मुड़ रहा है। सूत्रों का कहना है कि रिजल्ट का टेंडर इसलिए ही लेट किया गया है। जिससे लोगों को इसके खिलाफ कुछ करना का मौका न मिले। शासनादेश के अनुसार 31 मार्च तक रिजल्ट का वितरण किया जाना था। अधिकारियों की मनमानी और हीला हवाली के कारण ही रिजल्ट का वितरण नहीं हो पाया। शासन ने 1.80 लाख छात्र-छात्रओं के रिजल्ट कार्ड के लिए 30 लाख रुपये का बजट भेजा है। अब कोई भी अधिकारी कर्मचारी यह बताने को तैयार नहीं है कि कितने में टेंडर हुआ है, कितने रुपये में रिजल्ट कार्ड छपकर आए हैं। विभागीय सूत्रों की मानें तो यह तय है कि मोटा कमीशन खाया गया है, जिससे रिजल्ट कार्ड की इतनी खराब गुणवत्ता है। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र यादव ने बताया कि इससे पहले कभी भी इतनी घटिया गुणवत्ता के रिजल्ट नहीं आए। उन्होंने बताया कि कमीशनखोरी की शिकायत जिलाधिकारी से की जाएगी। एक शिकायती पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय को भी भेजा जाएगा। परिषदीय स्कूलों के बच्चों के रिजल्ट कार्ड पर भी कमीशन नहीं छोड़ा जा रहा है।
रिजल्ट कार्ड की गुणवत्ता एक दम ठीक है। यदि गुणवत्ता में किसी प्रकार की कमी है तो संबंधित फर्म के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। छुट्टी होने के कारण अभी तक रिजल्ट कार्ड देखे नहीं है। रिजल्ट कार्ड देखने के बाद ही उनका वितरण कराया जाएगा। गुणवत्ता पर विशेष जोर है। - धर्मेद्र सक्सेना, बीएसए, बुलंदशहर।
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