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Thursday, April 13, 2017

बरेली : कड़ाई से सुधरेगी चौपट पढ़ाई, शिक्षकों से डीएम की दो टूक; कामचोरों से मैं निपटूंगा, आप संभालें शिक्षा गुणवत्ता

जागरण संवाददाता, बरेली : डीएम सुरेंद्र सिंह ने बुधवार को संजय कम्यूनिटी हाल में शिक्षाग्रह कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने शिक्षा व्यवस्था को बिगाड़ने वाले कारणों पर चोट की। कहा, प्राइमरी शिक्षा की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है जबकि संसाधन बढ़े हैं। इस पर सभी को सोचना होगा। उन्होंने आंध्रप्रदेश, राजस्थान व उप्र के आइआइटी के आंकड़ों को रखते हुए कहा कि मेरिट में उप्र के लाल इसलिए पिछड़ रहे हैं कि उनकी नींव मजबूत नहीं है। कहा, नींव प्राइमरी शिक्षा के जरिए मजबूत होगी। 1गरीबों का क्या दोष1उन्होंने भावनाओं से लोगों से जोड़ते हुए कहा, उन गरीब बच्चों का क्या कसूर है जिनके माता-पिता उन्हें प्राइवेट स्कूलों में नहीं पढ़ा पाते। उन्हें अच्छे शिक्षक या अच्छे स्कूल नहीं मिल पाते। इस पर सभी को सोचना होगा। सिर्फ एक सोच व संकल्प की आवश्यकता है। इससे धीरे-धीरे देश की तकदीर बदलती जाएगी। कहा, शिक्षाग्रह योजना के जरिये गांव से लेकर शहर तक के प्राइमरी विद्यालयों को ऐसा बनाया जाएगा कि कांवेंट स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावक आकर सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला कराएंगे। कहा, अफसर भी स्कूलों के निरीक्षण में बिल्डिंग निर्माण, मिड डे मील में मसालों की गुणवत्ता, ब्रांड देखते हैं लेकिन अब शिक्षा का भी ब्रांड योजना के जरिए देखा जाएगा। 1कहा, महात्मा गांधी ने आग्रह के जरिए ही देश को आजाद कराया है। उसी आग्रह से हम शिक्षा गुणवत्ता को सुधारेंगे। उन्होंने कहा, वह दक्षिण भारत में एक ट्रेनिंग में थे। एक अखबार में खबर छपी थी। उसमें लिखा था कि उप्र में शिक्षक निलंबित होने के लिए रिश्वत देते हैं। इसलिए प्रणाली को तोड़ना होगा। उन्होंने कहा, हमें बच्चों में विश्वास जगाना होगा। हस्तक्षेप व भ्रष्टाचार को रोकना होगा तभी बरेली देश के नक्शे में एक मॉडल की तरह नजर आएगा।संजय कम्युनिटी हाल में बुधवार को डीएम सुरेंद्र सिंह शिक्षकों को संबोधित करते हुए ’ जागरण’>>गरीब बच्चों का क्या कसूर जो प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़ पाते1’>>शिक्षा गुणवत्ता के लिए सिर्फ सोच व संकल्प की आवश्यकता1’>>खाने के साथ-साथ अब स्कूल में पढ़ाई का भी ब्रांड देखेंगे1’>>शिक्षाग्रह एक नई सोच से होगा लाखों बच्चों का भलाडीएम चाहते हैं कि शिक्षक सरकारी स्कूलों की दशा सुधारें मगर वे भला क्यों सुनने लगे। वे तो डीएम का भाषण सुनने के बजाय मोबाइल में व्यस्त थे।



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