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Monday, April 10, 2017

शिक्षा के लिए संसाधन नहीं, लगन जरूरी, परिश्रमी व्यक्ति कभी असफल नहीं होता, छात्रों को गतिविधियों में हिस्सा लेना चाहिए : राज्यपाल

वकीलों ने सौंपा ज्ञापनमहामहिम को उमेश गुप्त, ब्रजेंद्र सहाय, राम प्रताप सहित कई अधिवक्ताओं ने एक ज्ञापन सिविल जज जूनियर डिवीजन की नियुक्ति तथा अतरिक्त सत्र एवम जिला न्यायधीश कोर्ट की भूमि उपलब्ध कराने के संबंध में सौंपा।

किसी भी शैक्षणिक संस्थान अथवा विश्वविद्यालय का आकलन उसके भू-भाग या फिर भवन से नहीं, बल्कि इस बात से होता है कि वहां पर किस तरह से योग्य और संस्कारवान छात्र-छात्रओं को एक जिम्मेदार नागरिक बनाया जाता है। अयोध्या नरेश दशरथ के पुत्र भगवान श्रीराम ने जिस गुरुकुल में शिक्षा हासिल की वह बहुमंजिला इमारत नहीं थी और न ही वहां पर राजसी सुविधाएं उपलब्ध थी। लेकिन श्रीराम ने एक योग्य और कुशल शासक बनकर पूरे विश्व में अपने रामराज्य का लोहा मनवाया। यह बात राज्यपाल राम नाईक ने रविवार को महमूदाबाद नगर के मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के स्थापना दिवस समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों का एक मात्र उद्देश्य विद्या अर्जन ही होना चाहिए। इसके लिए संसाधन नहीं बल्कि लगन का होना जरूरी है। इस दौरान संस्थान में होने वाली प्रत्येक गतिविधियों में हिस्सा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि बालक शिक्षित होकर सिर्फ अपने परिवार को शिक्षित करता है। लेकिन बालिका शिक्षित होकर दो परिवारों में शिक्षा और ज्ञान का उजियारा फैलाकर शिक्षित व संस्कारित करती हैं। बालिकाओं का शिक्षा स्तर बढ़ना समाज के लिए शुभ संकेत है। राज्यपाल ने कहा कि परिश्रमी व्यक्ति कभी भी असफल नहीं होता है। अपनी सफलता पर इतराना नहीं चाहिए बल्कि और आगे बढ़ने के लिए उससे अधिक तैयारी के साथ लग जाना चाहिए। शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिससे एक स्वस्थ्य समाज व राष्ट्र का निर्माण संभव है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश के 29 विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होने के नाते उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर मेरी नजर है। साथ ही इसमें सुधार के प्रयास निरंतर किए जा रहे है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रदेश के उच्च व माध्यमिक शिक्षा सचिव जितेंद्र कुमार ने कहा कि मौलाना आजाद को रुरल विश्वविद्यालय का दर्जा दिए जाने के लिए संस्था सचिव डा. अम्मार रिजवी के प्रयासों की सराहना करते हुए हर संभव मदद देने का भरोसा दिया। कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जेवी वैश्म्पायन ने कहा कि हाईस्कूल की कमी इंटर में तथा इंटर की कमी उच्च शिक्षा के दौरान तो दूर की जा सकती है किंतु उच्च शिक्षा की कमी जीवन में कभी भी दूर नहीं की जा सकती है।

लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर सुधार किए जा रहे हैं। शिक्षा के माध्यम से ही समाज का रुप सामने आता है। उर्दू अंजुमन जर्मनी के प्रेसिडेंट प्रो. आरिफ नकवी ने कहा कि भारत की धाक बीते वर्षों में विदेशों में काफी बढ़ी है। यह शिक्षा के प्रति जागरुकता के कारण ही संभव हुआ है। एमएलसी व अधिवक्ता मधुकर जेटली ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विश्वविद्यालय की मान्यता के लिए 40 एकड़ भूमि का मानक बहुत काफी है। जबकि अन्य प्रदेशों में यह मानक बहुत कम है। उन्होंने देश में एक जैसे मानक किए जाने की मांग की। समारोह को पूर्व मंत्री डॉ. अम्मार रिजवी, डॉ. जाकिया रिजवी ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन लखनऊ विश्वविद्यालय के उर्दू विभागध्यक्ष अब्बास रजा नैयर ने की। संस्थाध्यक्ष की पौत्री जैनब रिजवी ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

इससे पूर्व राज्यपाल ने कॉलेज परिसर में स्थापित देश के प्रथम शिक्षामंत्री डॉ. अबुल कलाम आजाद की आदमकद प्रतिमा पर पुष्पार्चन किया। सभागार में पहुंचने पर राज्यपाल सहित अन्य अतिथियों का समाजसेवियों व बुद्धिजीवियों ने बुके भेंट कर व माल्यार्पण कर स्वागत किया। समारोह का शुभारंभ राष्ट्रगान और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।

इस मौके पर जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी, पुलिस अधीक्षक सौमित्र यादव, सीएमओ डॉ. एचजी सिंह, एएसपी सुभाषचंद्र गंगवार, एसडीएम एसएन शुक्ल, सीओ जितेंद्र कुमार, चीनी मिल के महाप्रबंधक दानवीर सिंह, संस्था के प्रधानाचार्य डा. एसएच अंसारी, पॉलिटेक्निक के प्राचार्य सीपी त्रिपाठी, पूर्व विधायक हरीश बाजपेयी मीसम अम्मार रिजवी, आशा मौर्या, मोहन प्रसाद बारी, लायर्स एसोसिएशन अध्यक्ष आरपी वर्मा, पूर्व अध्यक्ष उमेश गुप्त सहित अन्य कई अधिकारी, शिक्षाविद व राजनेता मौजूद रहे।
वार्षिकोत्सव का दीप जलाकर शुभारंभ करते राज्यपाल रामनाईक और अपनी पुस्तक चरैवेति चरैवेति के शिलापट का लोकार्पण करते राज्यपाल

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