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Sunday, April 30, 2017

फर्जी आदेशों ने मंत्रालयों की नींद उड़ाई, ईमेल/व्हाट्सएप के जरिये जारी हो रहे फरमान से सरकार ने सभी को किया सतर्क

नई दिल्ली मदन जैड़ा ई गवर्नेस के बढ़ने से इसके खतरे भी सामने आने लगे हैं। सरकारी महकमों के कई फर्जी आदेश ईमेल, व्हाट्सएप के जरिए ईधर-उधर घूम रहे हैं। इससे सरकार की नींद उड़ गई है।विभिन्न मंत्रलयों में तीन ऐसे फर्जी आदेश पकड़े गए हैं जो सरकार ने जारी ही नहीं किए थे। रक्षा जैसे संवेदनशील महकमे के नाम से भी फर्जी आदेश निकल रहे हैं। केंद्र में एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, आजकल सरकारी आदेशों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ही जारी किया जाता है। इससे उनकी कॉपी करना और भी आसान हो गया है। अधिकारी के मुताबिक, फर्जी आदेशों के चलते सभी मंत्रलयों और विभागों को सतर्क किया गया है। लोगों को भी चाहिए कि वे महकमे की वेबसाइट से ही ऐसे आदेश की कॉपी डाउनलोड करें। ईमेल या व्हाट्सएप पर आने वाले आदेशों को बिना जांचे सत्य नहीं मानें।साइबर कानून विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने बताया कि आईटी एक्ट के तहत ऐसे मामले में सात साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
7 मार्च 2017 को एक फर्जी आदेश ई मेल के जरिये जारी हुआ। इसमें सेना के लिए सातवें वेतन आयोग के नए स्केल बताए गए थे। आदेश रक्षा मंत्रलय के अवर सचिव के नाम से था, जबकि मंत्रलय की तरफ से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ।
मार्च में यूजीसी के नाम से आदेश जेएनयू को गया। इसमें कहा कि जेएनयू की उन योजनाओं के लिए वित्त मदद बंद कर दी गई है, जिनमें दलितों, पिछडों की स्थिति का अध्ययन किया जाता है। इस पर संसद में भी सवाल उठ गए। बाद में पता चला आदेश फर्जी था।
11 अप्रैल स्वास्थ्य मंत्रलय के अधीन आने वाली संस्था एमसीआई के नाम से एक फर्जी आदेश जारी। इसमें सभी मेडिकल कॉलेजों से प्रबंधन कोटा खुद भरने को कहा गया, जबकि यह कोटा एनईईटी की मेरिट से भरी जाती है।

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