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Monday, April 17, 2017

बलरामपुर : जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान को बीटीसी प्रशिक्षण की नहीं मिली मान्यता, अभिलेख कम होने के कारण वापस आई फाइल

संवादसूत्र, बलरामपुर : जिले में प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने की चाह लेकर तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों की परेशानियां दूर होने का नाम नहीं ले रही हैं। जिले में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान बनने के 12 वर्ष बाद भी इसे बीटीसी प्रशिक्षण की मान्यता नहीं मिली है। मान्यता की फाइल में अभिलेख कम होने के कारण जयपुर से फाइल वापस आ गई है। अब नए सिरे से मान्यता के लिए प्रयास शुरू किए जाने की बात प्राचार्य कह रहे हैं।


वर्ष 2005 में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की गई थी। स्थापना के समय उप निबंधक कार्यालय में डॉयट की जमीन का पंजीकरण कृषि योग्य भूमि में दर्ज होने के कारण विभागीय अधिकारियों द्वारा बीटीसी का प्रशिक्षण कराने के लिए मान्यता का आवेदन नहीं किया गया। नौ वर्षों तक डॉयट के प्राचार्य जमीन की श्रेणी बदलवाने (कृषि से व्यवसायिक करने) का प्रयास करते रहे। अंत में प्रभारी प्राचार्य रहे अरूण त्रिपाठी के प्रयासों से डॉयट परिसर की जमीन का पंजीकरण व्यवसायिक भूमि के रूप में करा दिया गया है। उनके हटते ही डॉयट के बीटीसी मान्यता की प्रक्रिया फाइलों में गुम हो गई है। ऐसे में जिले के अभ्यर्थियों को बीटीसी का प्रशिक्षण लेने के लिए गोंडा के दर्जीकुंआ में स्थित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पर जाना पड़ता है। दर्जीकुंआ डॉयट पर बलरामपुर जिले के लिए 100 सीटें भी हैं। इसके अलावा जिले में स्थित पांच निजी संस्थानों को भी बीटीसी से संबंधित सभी कार्यो के लिए गोंडा डॉयट ही जाना पड़ता है। ऐसे में पिछले 12 वर्षो से बलरामपुर डॉयट पर शिक्षकों को विभिन्न विषयों का प्रशिक्षण देकर कोरम पूरा किया जा रहा है।


स्नातक की परीक्षा पास कर चुके संतोष कुमार, राजीव, दीपा, सतीश, नेहा आदि ने बताया कि हम लोगों को उम्मीद थी कि बीटीसी का नया सत्र शुरू होने से पहले जिले के डॉयट को बीटीसी की मान्यता मिल जाएगी और हम अपने घर पर रहकर बीटीसी का प्रशिक्षण करेंगे, लेकिन इस बार भी मान्यता न मिलने से हमारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। डॉयट प्राचार्य धर्मेद्र कुमार ने बताया कि केंद्र को बीटीसी की मान्यता के लिए फाइल तैयार कर जयपुर भेजी गई थी, लेकिन भवन के कुछ अभिलेख न होने से फाइल वापस आ गई है। उपजिलाधिकारी सदर जेपी सिंह को पत्र लिखकर संबंधित अभिलेख मांगे गए हैं। अभिलेख मिलते ही पुन: फाइल मान्यता के लिए भेज दी जाएगी।

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