बेसिक शिक्षा विभाग के वित्त एवं लेखाधिकारी को पांच हजार रुपये नहीं दिए, तो सहायक अध्यापक का वेतन रोक दिया गया। यह आरोप विभाग के ही एक सहायक अध्यापक ने लगाया है। उन्होंने इसको लेकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से शिकायत की है। साथ ही उन्होंने अवशेष वेतन का भुगतान कराने की मांग की है।
प्राथमिक विद्यालय नवाबपुरा में तैनात सहायक अध्यापक राम अवतार सिंह का कहना है कि 24 जून 2016 को बेसिक शिक्षाधिकारी ने उन्हें निलंबित कर दिया था। जांच के बाद वह दोषमुक्त हो गए, जिसके बाद उन्हें 23 सितंबर 2016 को सवेतन बहाल कर दिया गया। किन्तु, इसके बाद भी वित्त एवं लेखाधिकारी ने उनका वेतन रोक दिया। आपत्ति दर्ज कराने के बाद अगस्त माह का आधा वेतन काटा लिया गया। 21 जनवरी 2017 को अवशेष वेतन का बिल बेसिक शिक्षा विभाग के वित्त एवं सहायक लेखाधिकारी के पास पहुंचा। इस पर उनसे पांच हजार रुपये कमीशन की मांग की गई। आरोप लगाया कि कमीशन देने में असमर्थता जताने पर वित्त एवं लेखाधिकारी ने वेतन रोक दिया। काफी इंतजार और दफ्तर के चक्कर लगाने के बाद भी जब अवशेष वेतन का भुगतान नहीं हुआ, तो 23 अप्रैल 2017 को जिलाधिकारी एवं मुख्यमंत्री से शिकायत की। इस पर लेखाधिकारी ने अवशेष वेतन बिल से उपस्थिति की कॉपी हटाकर बिल पर आपत्ति लगा दी और बिल खंड शिक्षाधिकारी स्वार को भेज दिया। आपत्ति निस्तारण के बाद 29 अप्रैल को बिल फिर से लेखाधिकारी के पास आ गया। अब लेखाधिकारी बजट न होने की बात कहकर अवशेष वेतन का भुगतान नहीं कर रहे हैं। आरोप लगाया कि सिर्फ पांच हजार रुपये कमीशन न देने की वजह से उन्हें परेशान किया जा रहा है। उन्होंने वित्त एवं लेखाधिकारी पर करोड़ों रुपये का आरडी घोटाला करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने जांच कर कार्रवाई कराने और शीघ्र ही अवशेष वेतन का भुगतान की मांग की है।
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