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Tuesday, May 16, 2017

इलाहाबाद : बीएसए के छात्र संख्या आदेश पर बखेड़ा, अध्यापकों का वेतन दांव पर लगा

इलाहाबाद। बेसिक शिक्षा परिषद के उच्च प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत अंशकालिक अनुदेशकों की संविदा नौकरी के कारण स्थायी हेडमास्टरों और सहायक अध्यापकों का वेतन दांव पर लग गया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी हरिकेश यादव के 12 मई के आदेश पर शिक्षकों ने बखेड़ा करना शुरू कर दिया है। 2012-13 शैक्षिक सत्र से 100 से अधिक छात्र संख्या वाले उच्च प्राथमिक स्कूलों में कला शिक्षा, स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा तथा कार्यानुभव शिक्षा के अंशकालिक अनुदेशकों की भर्ती शुरू हुई थी। जिन स्कूलों में छात्र संख्या कम होती गई, वहां नियुक्त अनुदेशकों को हटाने की कार्रवाई शुरू हुई। इसका अनुदेशकों ने विरोध किया। अनुदेशकों का तर्क था कि स्कूलों में छात्र-छात्रओं के ठहराव के लिए सिर्फ अनुदेशक जिम्मेदार नहीं हैं। इसलिए छात्र संख्या कम होने पर हेडमास्टर व सहायक अध्यापकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए।बीएसए ने सभी खंड शिक्षाधिकारियों से उन उच्च प्राथमिक स्कूलों की सूची मांगी है जहां अंशकालिक अनुदेशक तैनात हैं और छात्र संख्या 100 से कम हो गई है। साथ ही इन स्कूलों में कार्यरत प्रधानाध्यापक, सहायक अध्यापक एवं अनुदेशकों का वेतन भुगतान तब तक नहीं करने को कहा है जब तक छात्र संख्या 100 से अधिक न हो जाए।

"छात्र संख्या के लिए अनुदेशकों के साथ ही हेडमास्टर व सहायक अध्यापकों को जिम्मेदार बनाए जाने से निश्चित तौर पर छात्रों की उपस्थिति गुणात्मक रूप से बढ़ेगी। मैं इस आदेश की सराहना करता हूं।
-भोलानाथ पांडेय, प्रदेश महासचिव, उच्च प्राथमिक अनुदेशक वेलफेयर एसोसिएशन"

"छात्र संख्या 100 से कम होने पर शिक्षकों के वेतन रोकने के आदेश से हम सहमत नहीं हैं। छात्र संख्या कम होने का प्रमुख कारण जगह-जगह खुले गैर मान्यताप्राप्त स्कूल हैं। बीएसए फर्जी स्कूलों को बंद कराएं तो हमारे स्कूलों में बच्चों की संख्या अपने आप बढ़ जाएगी। इस मसले पर हम बीएसए से मिलेंगे।
-राजेश पटेल, जिला महामंत्री, पूर्व माध्यमिक (जूनियर हाईस्कूल) शिक्षक संघ"

"बीएसए का आदेश पूरी तरह से गलत है। सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक ने अनुदेशकों के नवीनीकरण के लिए 100 छात्र संख्या की सीमा रखी है। इसमें अध्यापकों के वेतन रोकने का कोई निर्देश नहीं हैं।
-देवेन्द्र श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ"

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