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Sunday, May 28, 2017

पदोन्नति में आरक्षण को असंवैधानिक ठहराये जाने का सुप्रीम कोर्ट का निर्णय लागू न होने से बेसिक शिक्षकों में रोष, निदेशक को ज्ञापन सौंप मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय लागू न होने से बेसिक शिक्षकों में रोष
बेसिक शिक्षा निदेशक को सौंपा ज्ञापन
मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील
सर्वोच्च न्यायालय के पदोन्नति में आरक्षण को असंवैधानिक ठहराये जाने के बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग में अनुसूचित जाति/जनजाति के शिक्षकों को रिवर्ट कर रिक्त पदों पर सामान्य व अन्य पिछड़ी जाति के शिक्षकों को पदोन्नत न किये जाने से प्रदेश के लाखों शिक्षकों में रोष है। सर्वजन हिताय संरक्षण समिति की बेसिक शिक्षा विभाग की समिति के पदाधिकारियों ने बेसिक शिक्षा निदेशक सवेर्ंद्र विक्रम सिंह , मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक महेंद्र सिंह राणा, बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी और वित्त एवं लेखाधिकारी को ज्ञापन देकर प्रभावी कार्रवाई की मांग की। समिति के महिला प्रकोष्ठ की प्रांतीय अध्यक्ष रीना त्रिपाठी ,बेसिक शिक्षा के प्रांतीय महामंत्री सव्रेश शुक्ल, राम सिंह , निशा सिंह , सीता पाठक ,अनिल कुमार सिंह और इन्दु ने ज्ञापन देकर हस्तक्षेप की मांग की है।ज्ञापन में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय ने 27 अप्रैल 2012 को उप्र में पदोन्नति में आरक्षण दिये जाने के आदेश को असंवैधानिक करार दिया और 15 नवम्बर 1997 से 28 अप्रैल 2012 के मध्य पदोन्नति में आरक्षण का लाभ पाकर प्रोन्नत शिक्षकों की पदावनत (रिवर्ट) करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के क्रियान्वयन को उप्र के मुख्य सचिव ने बेसिक शिक्षा विभाग के निदेशक को लिखित आदेश कर कार्रवाई करने को कहा लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग में अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि अभी भी सामान्य व अन्य पिछड़ी जाति के लाखों वरिष्ठ शिक्षक पदोन्नति नहीं पा सके हैं और उन्हें एससी/एसटी के जूनियर शिक्षकों के नीचे काम करना पड़ रहा है जिससे उनमें भारी कुण्ठा और रोष है। इतना ही नहीं उन्हें अपने से जूनियर शिक्षकों की तुलना में कम वेतन मिल रहा है और 7वें वेतनमान की पुनरीक्षण की प्रक्रिया पूरी होने जा रही है जिससे सामान्य व अन्य पिछड़ी जाति के लाखों वरिष्ठ शिक्षकों को भारी वित्तीय क्षति भी होगी। समिति ने उप्र के मुख्य मंत्री और बेसिक शिक्षा मंत्री से प्रभावी हस्तक्षेप करने की मांग की है जिससे बेसिक शिक्षा विभाग में भी अन्य विभागों की तरह सुप्रीम कोर्ट का निर्णय लागू हो सके और सामान्य व अन्य पिछड़ी जाति के लाखों शिक्षकों को न्याय मिल सके।
द सहारा न्यूज ब्यूरोलखनऊ।

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