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Sunday, May 21, 2017

गोरखपुर : एसडीएम के निरीक्षण में अनुपस्थित मिले बीईओ, शिक्षा से छोड़ यारी, बच्चे बेच रहे ताड़ी

एसडीएम खजनी हर्षदेव पांडेय ने शनिवार को सुबह 9.45 बजे बीआरसी कार्यालय का औचक निरीक्षण किए। इस दौरान कार्यालय तो खुला मिला किंतु जिम्मेदार मौके से नदारद मिले। बीईओ खजनी राजेश श्रीवास्तव, समन्वयक ओमप्रकाश रावत, सह- समन्वयक विरेंद्र प्रताप यादव अनुपस्थित मिले। कार्यालय के बरामदे में मोटरसाइकिल खड़ी मिली, सामान अव्यवस्थित मिले। यहां से निकलकर एसडीएम बाल विकास कार्यालय पहुंचे तो उन्हें सीडीपीओ दफ्तर में ताला लटकता मिला। दोनों जिम्मेदार अधिकारियों से मोबाइल फोन पर भी उनकी बात नहीं हो पाई। एसडीएम ने सभी के खिलाफ रिपोर्ट डीएम के पास कार्रवाई के लिए भेज दी है। कार्य सभी को करना होगा।

भविष्य बर्बाद
जिम्मेदारों की शिथिलता का खामियाजा भुगत रहे नौनिहाल, विद्यालय नहीं जाने से खराब हो रहा भविष्य

नौनिहालों के बेहतर भविष्य के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही तमाम योजनाओं व अधिकारियों के दावें खोखले साबित हो रहे हैं। गोला थाना क्षेत्र के कई स्थानों पर गैलन व मटके में खुलेआम नशे नशे का कारोबार चल रहा है। इस कारोबार में बच्चे व बच्चियां भी शामिल हैं, जो शिक्षा से दूरी बना ताड़ी को बेच रही हैं। जिम्मेदारों की शिथिलता से नौनिहालों का भविष्य खराब हो रहा है। यह तो एक बानगी है, जबकि सच्चाई यह है कि हर जनपद में इस तरह के कारोबार में मासूमों को शामिल किया गया है।

गोला थाना क्षेत्र के हटवा, दुबे का पुरा, केवटविया, अबरूस, विसरा, कोहड़ी, मठिया, बारानगर, अहिरौली, मूंगवार, परसिया, तरयापार आदि गांवों में ताड़ और खजूर के पेड़ हैं जिनसे ताड़ी उतारने का कार्य किया जाता है। इस नशीले पेय पदार्थ को गोला से उरूवा व चीनी मिल रोड पर दुकान सजाकर सुबह से रात तक बेचा जाता है। इन पर पीने वालों की भारी भीड़ रहती है। ताड़ी बेचने और पिलाने का काम मुख्य रूप से बच्चों और महिलाओं द्वारा किया जाता है। इनमें बड़ी संख्या में दस से पंद्रह वर्ष आयु के बीच वालों की है। यह बच्चे ताड़ी बेचने के साथ ही स्वयं भी सेवन कर नशे की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं।

क्षेत्र निवासी अजय दुबे, देवराज मौर्य, अजय पांडेय, वशिष्ट पांडेय, अंबुज श्रीवास्तव, शशिकांत राय, भानू सिंह, जोखन प्रसाद आदि का कहना है कि सभी ताड़ी की दुकानें गैर लाइसेंसी हैं। इसके अलावा एक दुकान का लाइसेंस लेकर उसके पीछे अनेक दुकानों को चलाया जा रहा है।

ताड़ी को बनाया जाता है और नशीला : ताड़ी की मांग इतना अधिक है कि ताड़ और खजूर के प्राकृतिक श्रोतों से पूरी नहीं हो पाती है। नाम न छापने की शर्त पर एक ताड़ी विक्रेता ने बताया कि ताड़ी की मात्र बढ़ाने के लिए चीनी के घोल में नौशादर, फिटकिरी, यूरिया आदि कई प्रकार के रासायनिक पदार्थ मिलाकर उसे नशीला बनाया जाता है जिसे ग्राहक जैसे ही पीता है, उसे नशा होने लगता है। अधिक नशे के चलते जो एक बार इस ताड़ी को पी लेता है, वह बार-बार इसे ही मांगता है। कम उम्र के बच्चे भी इस लत के शिकार हो रहे हैं जो जानलेवा साबित हो सकती है। इस संबंध में पूछे जाने पर आबकारी निरीक्षक रामधनी वर्मा ने कहा कि बच्चों और महिलाओं द्वारा ताड़ी बेचे जाने की सूचना नहीं है। जल्दी ही इसके खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी। अगर कोई नाबालिग मादक पदार्थो के कारोबार में मिला तो उनके परिजनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।

गोला के बारानगर गांव में ताड़ी बेचते बच्चे ’ जागरण’ बच्चों के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाएं साबित हो रहीं बेमानी गोला तहसील क्षेत्र में धड़ल्ले से चल रहा नशीली ताड़ी का धंधा

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