‘सपने वो नहीं होते जिन्हें सोते हुए देखते हैं, सपने तो वो हैं जो हमें सोने नहीं देते’। यह विचार पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन स्व. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के थे। इनसे प्रभावित होकर एडी बेसिक भगवत पटेल और सम्भल के असमोली ब्लॉक की खंड शिक्षा अधिकारी बबीता सिंह ने नवाचार के तहत ‘स्टार्ट अप असमोली फॉर मेकिंग जूनियर कलाम’ प्रोजेक्ट लांच किया है। बच्चों में विज्ञान की समझ बढ़ाने के लिए प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों ने भी सहयोग करते हुए अपने वेतन से ब्लाक के सभी सात न्याय पंचायत में प्रयोगशाला स्थापित की हैं। एक प्रयोगशाला के निर्माण में 50 हजार रुपये खर्च आया है। यहां विज्ञान के प्रयोग के जरिए जूनियर हाईस्कूल तक के छात्रों की तर्क शक्ति बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं
पिछले साल सरकार की ओर से एक ब्लॉक की दो न्याय पंचायत में प्रयोगशाला बनाने को 50-50 हजार रुपये जारी किए गए थे। लेकिन इससे सभी बच्चों को लाभान्वित नहीं किया जा सकता था। ऐसे में एडी बेसिक भगवत पटेल ने मंडल के सभी खंड शिक्षा अधिकारियों की बैठक बुलाई और सामूहिक सहयोग से सभी न्याय पंचायतों में प्रयोगशाला स्थापित करने की सलाह दी। इस पर असमोली की खंड शिक्षा अधिकारी बबीता सिंह ने तेजी से काम शुरू किया। उन्होंने शिक्षकों से इस प्लान की चर्चा की तो सभी ने बढ़ चढ़कर अपने वेतन से सहयोग दिया। इस प्रयास से असमोली की सभी नौ न्याय पंचायतों में प्रयोगशाला बन गई। इससे प्रेरणा लेते हुए रामपुर के शाहबाद और स्वार के अलावा अमरोहा में भी इस प्रकार के प्रयास शुरू हो गए हैं।असमोली की हरथला न्याय पंचायत में विज्ञान प्रयोगशाला के पूर्व में हुए उद्घाटन के मौके पर सम्भल के डीएम, शिक्षाधिकारी व शिक्षक ’ जागरणएक न्याय पंचायत के उच्च प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को प्रयोगशाला तक लाने की जिम्मेदारी शिक्षकों को दी गई है। मेरा प्रयास है कि मंडल के हर ब्लॉक की न्याय पंचायत में शिक्षक सहयोग से प्रयोगशालाएं स्थापित करें।
-भगवत पटेल, एडी बेसिकवैसे तो स्कूलों में सामान्य विज्ञान बच्चों को पढ़ाई ही जाती है, लेकिन जो बच्चे विज्ञान में विशेष रुचि रखते हैं उनके लिए यह व्यवस्था बहुत ही उपयोगी साबित होगी। विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए कठपुतली शो और प्रतियोगिताएं भी कराई जाएंगी। -बबीता सिंह, खंड शिक्षा अधिकारी, असमोली, सम्भल1
No comments:
Write comments