DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Wednesday, May 10, 2017

लखनऊ : आरटीई में दाखिले के लिए बन रहे गरीब, फर्जी आय प्रमाण पत्र का ले रहे सहारा

लखनऊ (डीएनएन)। घर में चार पहिया वाहन से लेकर लगभग सभी सुविधाएं मौजूद। फिर भी शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत अपने बच्चे का दाखिला कराने के लिए कुछ बेईमान ‘गरीब’ बन रहे हैं। फ्री पढ़ाई कराने के लालच में ऐसे लोग फर्जी आय प्रमाण पत्र बनवा कर दाखिला कराने में जुटे हैं। इस तरह के कई मामले सामने आ रहे हैं।दरअसल, आईटीई के तहत सरकार ने गरीब और जरूरतमंद बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की व्यवस्था की। इसके तहत अलाभित समूह के बच्चों को कक्षा एक या उससे नीचे की कक्षा में निजी स्कूलों की 25 फीसदी सीटों पर दाखिले का प्रावधान किया गया। इस योजना में सरकार दाखिला लेने वाले प्रत्येक बच्चे पर साढ़े चार सौ रुपए प्रति माह के हिसाब से संबंधित स्कूल को देती है। लेकिन अब शहर के कुछ बेईमान गरीब बच्चों का हक मारने में जुट गए हैं। बच्चों की पढ़ाई फ्री कराने के लालच में यह सारा खेल हो रहा है। विभागीय जानकारों की मानें तो गोमतीनगर के एक प्राइवेट स्कूल में आरटीई के तहत दाखिले लेने पहुंचे एक अभिभावक चार पहिया से आए थे। इसके अलावा मडियांव के एक स्कूल में वहां पढ़ने वाले बच्चों को आरटीई में दिखाकर दाखिला करा दिया। आलमबाग के इस स्कूल में एक साल पहले पूरी फीस देकर पढ़ने वाले बच्चों का दाखिला आरटीई के तहत करा दिया गया। आश्चर्य की बात है कि बच्चों के पिता प्राइवेट नौकरी करते हैं और उनके पास गाड़ी से लेकर मकान तक सब कुछ है। बावजूद इसके मां का आय प्रमाण पत्र लगाकर यह दाखिले लिए गए। इनकी शिकायत बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में भी आई है।अल्पसंख्यक संस्थानों में भी कर दिए दाखिलेलखनऊ। आरटीई के तहत निजी स्कूलों में दाखिले के लिए पहली बार शुरू किया गया ऑनलाइन सिस्टम फेल साबित हुआ है। स्थिति यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने मिशनरी व अल्पसंख्यक विद्यालयों को आरटीई के दायरे से बाहर रखा है। लेकिन ऑनलाइन सिस्टम की वजह से कैथेड्रल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सेंट फ्रांसिस कॉलेज से लेकर तमाम ऐसे विद्यालय हैं जहां बच्चों को दाखिले के लिए भेज यिा गया। हालांकि विभाग का कहना है कि तकनीकी गड़बड़ी की वजह से ऐसा हुआ है, जिसे जल्द ठीक करा लिया जाएगा।आरटीई में जिन बच्चों को दाखिला दिया जा रहा है, उनके प्रमाण पत्रों की जांच के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा। दाखिले के नाम पर कुछ लोगों द्वारा पैसे लिए जाने की बात सामने आई है इसमें कुछ एनजीओ वालों के नाम आ रहे हैं।प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत गरीब बच्चों के दाखिले बड़े प्राइवेट स्कूलों में कराने के लिए वसूली भी शुरू हो गई है। दो दिन पहले बीएसए कार्यालय में कुछ इसी तरह की शिकायत आई। बीएसए प्रवीण मणि त्रिपाठी ने बताया कि दो अभिभावक दाखिला न होने पर पूछताछ करने आए थे, उनका कहना था कि दाखिले के लिए 5 हजार रुपए एक व्यक्ति को दिए थे, लेकिन फिर भी प्रवेश नहीं हुआ। इसके अलावा एक एनजीओ के सदस्यों द्वारा शहर के एक बड़े स्कूल में दाखिला कराने के नाम पर 5000 रुपये लेने की शिकायत सामने आई है। यह दलाल अभिभावकों को गुमराह करके पैसा वसूलने में जुटे हैं।2062 से ज्यादा बच्चों का हुआ चयनप्राइवेट स्कूलों की 25 प्रतिशत फ्री सीटों पर आरटीई के तहत दाखिले के लिए जारी गई पहली सूची में 2062 से ज्यादा बच्चों का चयन किया गया है। इन चयनित छात्रों की सूची दाखिले के लिए संबंधित स्कूलों में भेज दी गई। अब सूची 15 मई को दूसरी सूची जारी की जाएगी

No comments:
Write comments