यह विडंबना ही है कि यूपी बोर्ड के स्कूलों में 16 वर्षो से कंप्यूटर शिक्षा का पाठ्यक्रम लागू होने के बावजूद एक भी राजकीय व अशासकीय माध्यमिक विद्यालय में नियमित कंप्यूटर शिक्षक नहीं है। इन विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा की पूरी व्यवस्था ठेके पर संचालित है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड ने 25 जून 2001 को कंप्यूटर का पाठ्यक्रम लागू किया था। बोर्ड ने इसे कक्षा नौ से लेकर 12 तक में ऐच्छिक विषय के रूप में लागू किया। हाईस्कूल यानी कक्षा नौ व दस तथा इंटरमीडिएट यानी 11 व 12 के लिए अलग-अलग शिक्षक नियुक्त करने की अर्हता भी तय हुई। कंप्यूटर शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम लागू होने के बाद संसाधन व मानदेय पर शिक्षक नियुक्त करने में कुछ गिने-चुने विद्यालयों ने ही रुचि दिखाई। 1शायद यही वजह है कि कंप्यूटर शिक्षा लागू होने के 16 वर्ष बाद भी प्रदेश के महज 2399 (हाईस्कूल स्तर) विद्यालयों व 854 (इंटरमीडिएट स्तर) विद्यालयों में यह पाठ्यक्रम चल रहा है। यह सभी स्कूल अशासकीय हैं।
कक्षा नौ व दस में एक लाख 19 हजार 950 व इंटरमीडिएट में महज 40 हजार छात्र-छात्रएं ही कंप्यूटर विषय पढ़ रहे हैं। स्कूलों में नियमित शिक्षक न होने और बोर्ड प्रशासन की ओर से पाठ्यक्रम को ऐच्छिक से अनिवार्य करने की दिशा में कदम न उठाने के कारण यह शिक्षा कुछ विद्यालयों व छात्र-छात्रओं तक ही सिमट कर रह गई है। अस्थाई कंप्यूटर शिक्षक विश्वनाथ मिश्र कहते हैं कि प्रदेश में करीब चार हजार लोग कंप्यूटर की शिक्षा वर्षो से दे रहे हैं, उनके जीवन के महत्वपूर्ण 16 बरस इंतजार में ही निकल गए
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