इलाहाबाद : यूपी बोर्ड में इधर जितने भी बदलाव होते दिख रहे हैं, उसे अंतिम नहीं मानिए। यह कार्य तो ट्रेलर मात्र है, क्योंकि तमाम बदलावों की पूरी फिल्म अभी बाकी है। इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि कक्षा 11 व 12 का पाठ्यक्रम अलग करने में जो चूक हुईं थी और कक्षा नौ व 10 में जो छिटपुट हेरफेर थी, उसे ठीक करके नए सत्र के लिए भले तैयार कर दिया गया है, लेकिन यूपी सरकार तो पूरा पाठ्यक्रम ही बदलने की तैयारी में है। उस दिशा में तेजी से प्रयास शुरू हो चुके हैं, संभव है कि नया सत्र नए पाठ्यक्रम के साथ शुरू हो।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड में इस साल बदलाव का श्रीगणोश हो चुका है। विधानसभा चुनाव के कारण बोर्ड परीक्षाएं देर से होने के कारण शैक्षिक सत्र अप्रैल के बजाय जुलाई से शुरू करने का आदेश जारी हो चुका है। इस कदम के बाद से यूपी बोर्ड में मानो बदलाव की बयार ही चल पड़ी है।
ऑनलाइन मान्यता व उम्र तय : यूपी बोर्ड से प्रदेश के विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता देने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इस कदम से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। इसी तरह से हाईस्कूल की रेगुलर परीक्षा में बैठने की उम्र सीमा भी इसी वर्ष तय की गई है। इसके अनुसार 18 वर्ष से अधिक आयु का शख्स रेगुलर परीक्षार्थी नहीं होगा।
कौशल विकास को राजी: युवाओं का कौशल विकास करने के लिए यूपी बोर्ड तैयार है। प्रदेश भर के राजकीय व अशासकीय कालेजों में इंटरमीडिएट स्तर पर एक ट्रेड अनिवार्य रूप से पढ़ाने का खाका भी खींच लिया गया है। इसके लिए बजट की जरूरत होगी। धन मिलने पर नये सत्र से यह कार्य शुरू हो सकता है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड में इस साल बदलाव का श्रीगणोश हो चुका है। विधानसभा चुनाव के कारण बोर्ड परीक्षाएं देर से होने के कारण शैक्षिक सत्र अप्रैल के बजाय जुलाई से शुरू करने का आदेश जारी हो चुका है। इस कदम के बाद से यूपी बोर्ड में मानो बदलाव की बयार ही चल पड़ी है।
ऑनलाइन मान्यता व उम्र तय : यूपी बोर्ड से प्रदेश के विद्यालयों को ऑनलाइन मान्यता देने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इस कदम से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। इसी तरह से हाईस्कूल की रेगुलर परीक्षा में बैठने की उम्र सीमा भी इसी वर्ष तय की गई है। इसके अनुसार 18 वर्ष से अधिक आयु का शख्स रेगुलर परीक्षार्थी नहीं होगा।
कौशल विकास को राजी: युवाओं का कौशल विकास करने के लिए यूपी बोर्ड तैयार है। प्रदेश भर के राजकीय व अशासकीय कालेजों में इंटरमीडिएट स्तर पर एक ट्रेड अनिवार्य रूप से पढ़ाने का खाका भी खींच लिया गया है। इसके लिए बजट की जरूरत होगी। धन मिलने पर नये सत्र से यह कार्य शुरू हो सकता है।
पाठ्यक्रम परिवर्तन : माध्यमिक शिक्षा अफसरों ने संकेत दिये हैं कि सूबे की सरकार यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में बदलाव चाहती है, तैयारी है कि नये सत्र से एनसीईआरटी की पुस्तकों के जरिये पढ़ाई हो। इसके लिए शासन से लेकर बोर्ड प्रशासन तक हरकत में है। नया सत्र शुरू होने तक यह काम पूरा हो सकेगा या नहीं इस पर अफसर मौन हैं।
योग शिक्षा का विस्तार : यूपी बोर्ड ने सरकार की मंशा के अनुरूप योग शिक्षा को विस्तार देने की तैयारी पूरी कर ली है। पिछले दिनों पाठ्यचर्या समिति की बैठक कराकर पाठ्यक्रम में क्या-क्या जोड़ा जाना है यह खाका पतंजलि योग संस्थान के प्रशिक्षक इलाहाबाद आकर खींच चुके हैं। इस पर अनुमोदन के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। पुस्तकों की उपलब्धता : यूपी बोर्ड की किताबें छात्र-छात्रओं को उपलब्ध कराने के लिए चुनिंदा प्रकाशकों का इस बार चयन नहीं किया गया है, बल्कि सरकार को बोर्ड प्रशासन ने प्रस्ताव भेजा है कि यदि वह अनुमति दे तो हर प्रकाशक को पुस्तकें छापने की अनुमति दी जाए। साथ ही मूल्य पर भी अंकुश बना रहे। सरकार गरीब छात्रों को निश्शुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराने का वादा कर चुकी है और पाठ्यक्रम बदलने पर अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है। पंजीकरण शुल्क व डिजिटाइजेशन : पिछले सत्र में छात्र-छात्र से 20-20 रुपये वसूले जा चुके हैं, यह धन परिषद सचिव के खाते में जमा होना था । अब यह धन ट्रेजरी में जमा होगा। अगले शैक्षिक सत्र से यह धन वसूला जाए या नहीं पर निर्देश का इंतजार है। उधर, अभिलेखों का डिजिटाइजेशन कराने कराने के लिए प्रस्ताव भेजा जा रहा है।
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