भाजपा सरकार ने कि वर्ष 2016-17 का पुष्टाहार (पंजीरी) का टेंडर निरस्त करने का फैसला किया है। अब ई-टेंडर के जरिए नया टेंडर जारी होगा। इसके लिए प्रक्रिया पूरी करने में तीन माह का समय लग जाएगा। तब तक पोषाहार की निरंतर आपूर्ति वर्ष 2013 में चयनित फर्मों द्वारा पुराने ही रेट पर की जाएगी। पंजीरी ठेके में भ्रष्टाचार के आरोपों के जवाब में सचिव अनीता मेश्रम ने बताया कि इसीलिए ई-टेंडर की व्यवस्था की गई है ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
आपूर्ति और वितरण के लिए भी नया शासनादेश जारी किया गया है। उनकी नई व्यवस्था के तहत उनकी कोशिश है कि पुष्टाहार की सप्लाई आंगनबाड़ी केंद्र तक हो, अभी ब्लाक स्तर तक होती है। असल में पिछले दिनों बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में पंजीरी वितरण में बड़ा घोटाला उजागर हुआ था। साल 2016-17 में बिना टेंडर के ही चुनिंदा फर्में पंजीरी बच्चों व गर्भवती महिलाओं को बांटती रही। इसके बाद इसी साल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले गुपचुप तरीके से टेंडर कर दिया गया लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसके वर्क आर्डर के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी। जब भाजपा सरकार बनी उसने भी वर्कआर्डर जारी नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पालन के लिए पुरानी फर्मों से पंजीरी सप्लाई करवानी पड़ी।
ऐसा इसलिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि साल में कम से कम तीन सौ दिन आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीरी आपूर्ति होना अनिवार्य है। अब कैबिनेट ने जो निर्णय लिया है कि 2016-17 का पंजीरी आपूर्ति का टेंडर निरस्त कर दिया जाए। अगले तीन महीने में नया टेंडर कर लिया जाए। इस तरह पुरानी फर्में पुरानी दरों पर कम से नये टेंडर होने तक पंजीरी की आपूर्ति करती रहेंगी। तीन महीने में नया टेंडर करना अनिवार्य है। सरकार का कहना है कि वह पंजीरी की गुणवत्ता पक्का करेगी।
No comments:
Write comments