लखनऊ : इस साल जनवरी में एटा की स्कूल बस दुर्घटना में 13 मासूम बच्चों की मौत की धमक दिल्ली तक पहुंची थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर अफसोस जताया था और परिवहन अधिकारी भी प्रदेश भर के स्कूली वाहनों के लेकर चर्चा में ऐसे जुट गए थे कि मानो सब ठीक करके ही मानेंगे, लेकिन अब गर्मी की छुट्टियों के बाद फिर एक बार स्कूल खुलने वाले हैं और हालात जस के तस हैं। हालांकि अधिकारियों का दावा है कि अभियान चला कर ऐसे वाहनों को अब स्कूलों के पास ही पकड़ा जाएगा।
परिवहन विभाग के अपर आयुक्त प्रवर्तन वीके सिंह बताते हैं कि जिन स्कूलों के पास अपनी बसें हैं, उन पर तो नियंत्रण करना आसान है लेकिन, असंगठित तौर पर बच्चों को स्कूल ले जा रहे ई-रिक्शा से लेकर ऑटो रिक्शा, टेंपो, वैन और मिनी बसें जैसे वाहनों को नियंत्रित करना मुश्किल है। ऐसे स्कूली वाहनों का औसत करीब 50 फीसद है। सिंह का कहना है कि इन वाहनों को लेकर अभिभावकों को ही जागरूक होना पड़ेगा। उन्हें देखना होगा कि वाहन चालक कहीं जरूरत से ज्यादा बच्चों को जबरदस्ती तो नहीं बैठा रहा। इसी तरह वाहन में दरवाजों के लॉक होने से लेकर फिटनेस के अन्य सामान्य बिंदुओं को लेकर भी अभिभावकों से सतर्क रहने की अपेक्षा की गई है।
आरटीओ से करें शिकायत : परिवहन अधिकारियों ने जुलाई से स्कूलों के पास ही स्कूली वाहनों की जांच करने की तैयारी की है तो साथ ही अभिभावकों से भी कहा है कि स्कूली वाहनों को लेकर मनमानी किए जाने की शिकायत वे अपने जिले के संभागीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में कर सकते हैं।
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