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Saturday, June 24, 2017

बोर्ड के लाखों अभिलेखों का डिजिटाइजेशन बड़ी चुनौती, डिजिटाइजेशन के लिए बजट की समस्या

इलाहाबाद : यूपी बोर्ड के मुख्यालय से लेकर चारों क्षेत्रीय कार्यालयों तक में लाखों लोगों के शैक्षिक अभिलेख रखे गये हैं। इन अभिलेखों को बाहरी और भीतरी दोनों ओर से खतरा है। पुराने रिकॉर्ड धूल व रखरखाव के कारण नष्ट हो रहे हैं तो नये अभिलेख बदलकर अंक बढ़वाने की कोशिशें जारी हैं। इन्हें संरक्षित करने का डिजिटाइजेशन आधुनिक व सुरक्षित तरीका है। बोर्ड प्रशासन ने इस कार्य के लिए धन का भी इंतजाम किया है। इसी बीच बोर्ड सचिव बदल गई हैं, नई सचिव के सामने सबसे बड़ी चुनौती अभिलेखों को सुरक्षित रखने की होगी। 




माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड 1923 से लगातार हाईस्कूल व इंटर की परीक्षाएं कराता आ रहा है। हर वर्ष लाखों की तादाद में परीक्षार्थी शामिल होते हैं। उनके शैक्षिक अभिलेखों का प्रयोग जन्म तारीख निर्धारण के साथ जीवन के विविध क्षेत्रों में होता है। परिषद मुख्यालय और क्षेत्रीय कार्यालयों में यह अनमोल रिकॉर्ड इस तरह रखे जाते हैं कि वह सालों-साल जिंदा रहें। हाईकोर्ट की तर्ज पर शैक्षिक रिकॉर्डो को संरक्षित करने के लिए अफसरों ने डिजिटाइजेशन कराने की कार्य योजना तैयार की। इसके लिए धन का इंतजाम करने को हाईस्कूल व इंटर की वर्षो पुराने परीक्षा व पंजीकरण शुल्क को बढ़ाया गया। पंजीकरण शुल्क का 20 रुपये परिषद सचिव के खाते में जमा करने का निर्णय हुआ, लेकिन वित्त विभाग ने इसकी मंजूरी नहीं दी। अब यह धन राजकोष में जमा होगा। ऐसे में सरकार से डिजिटाइजेशन के लिए धन हासिल करना बड़ा काम होगा। 




⚫ प्रधानाचार्य धन देने को तैयार नहीं : बोर्ड के बढ़े पंजीकरण शुल्क में से 10 रुपये कालेजों के प्रधानाचार्यो को कालेज विकास के लिए मिलना था, लेकिन बाद में नियम बदलकर उनसे भी धन राजकोष में जमा करने को कहा गया। इससे प्रधानाचार्य परिषद सहमत नहीं है। अधिकांश प्रधानाचार्यो का कहना है कि ऑनलाइन फार्म व पंजीकरण में धन खर्च हो चुका है। इस प्रकरण को पूर्व सचिव ने शासन को भेजा है। यह निराकरण नई सचिव को कराना होगा। 




⚫ नई सचिव का कार्यभार ग्रहण आज : यूपी बोर्ड की नई सचिव नीना श्रीवास्तव शनिवार को मुख्यालय पर जाकर कार्यभार ग्रहण करने की सूचना है। हालांकि निवर्तमान सचिव से औपचारिक रूप से कार्यभार सोमवार या मंगलवार को हासिल हो सकेगा।


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