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Wednesday, June 7, 2017

शासन के निर्देश पर तैयार की गई रिपोर्ट में हुआ खुलासा, शहर के राजकीय स्कूलों में शिक्षकों की ‘फौज’

राजधानी के ग्रामीण क्षेत्र के राजकीय स्कूलों में छात्रों को सभी विषय पढ़ाने के लिए शिक्षकों की कमी है। लेकिन शहर के राजकीय स्कूलों में शिक्षकों की ‘फौज’ तैनात है। इस बात का खुलासा शिक्षकों के विवरण के अधार पर तैयार की गई एक रिपोर्ट में हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में ज्यादातर स्कूलों में दर्जनों शिक्षक यहां सिफारिश के जरिए तबादला कराकर आए। आलम यह रहा कि छात्र संख्या कम होने के बाद भी जिम्मेदारों ने मानकों को नजरअंदाज करते हुए शिक्षकों की तैनाती का आदेश भी जारी किए। हालांकि अब राज्य सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए राजकीय स्कूलों में तैनात शिक्षकों का विवरण तैयार कराना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि सरप्लस शिक्षकों को दूसरे स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा।दरअसल, राजधानी में करीब 48 राजकीय माध्यमिक विद्यालय संचालित हैं। इनमें 19 बालक और 29 बालिका विद्यालय शामिल हैं। इन विद्यालयों में छात्र संख्या के अनुसार मानक भी तय हैं। लेकिन शहर के राजकीय स्कूलों में इन नियमों की जमकर अनदेखी करते हुए जमकर शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण कराया गया। उदाहरण के तौर पर राजकीय बालिका इंटर कॉलेज नरही में मात्र 173 छात्राएं पंजीकृत हैं। बावजूद इसके यहां 20 शिक्षिकाओं की तैनाती है। इसी तरह राजकीय इंटर कॉलेज इंदिरा नगर में 19 और राजकीय बालिका इंटर कॉलेज सरोसा-भरोसा में 16 के सापेक्ष 15 शिक्षिकाएं तैनात हैं।ये हैं मानकप्रत्येक राजकीय विद्यालय में कक्षा 6 से 8 तक 60 बच्चों पर एक शिक्षक तैनात होना चाहिए। वहीं, कक्षा 9-10 में 65 छात्रों पर एक शिक्षक एवं कक्षा 11-12 में 80 छात्रों पर एक शिक्षक की तैनाती का नियम है। ग्रामीण क्षेत्र के इन स्कूलों में शिक्षकों की कमीराष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत दो दर्जन से ज्यादा स्कूल स्वीकृत हुए थे। लेकिन अब तक बिल्डिंग निर्माण पूरा न होने की वजह से यह विद्यालय जूनियर हाईस्कूल के एक कमरे में संचालित हो रहे हैं। एक कमरे में पिछले दो साल से कक्षा 9 व 10 के छात्र एक साथ बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। आश्चर्य की बात है कि दोनों कक्षाओं के अलग-अलग विषयों के अध्यापकों की जगह एक ही अध्यापक को पढ़ाने की जिम्मेदारी दे दी गई। स्थिति यह है कि राजकीय हाईस्कूल रतियामऊ, राजकीय हाईस्कूल मवई, राजकीय हाईस्कूल मलहा एक-एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। वहीं, राजकीय हाईस्कूल थरी में तो स्थाई प्रधानाध्यापक भी नहीं है। इसके अलावा राजकीय हाईस्कूल, सिंधरवा, राजकीय हाईस्कूल ससपन, राजकीय हाईस्कूल थारी, राजकीय हाईस्कूल अमेठिया सलेमपुर, राजकीय हाईस्कूल पल्हेंदा, राजकीय हाईस्कूल मस्तेमऊ, राजकीय हाईस्कूल उतरावां का भी कुछ ऐसा ही हाल है।राजकीय स्कूलों में सरप्लस शिक्षकों का ब्यौरा इकट्ठा किया जा रहा है। रिपोर्ट तैयार होने के बाद शासन के जो भी निर्देश होंगे, उस पर कार्रवाई की जाएगी।दीप चंद संयुक्त शिक्षा निदेशक, लखनऊ

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