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Tuesday, June 13, 2017

सुल्तानपुर : बीएसए ने नहीं भेजी किसी की सिफारिश, नौ हजार गुरुजी, सम्मान लायक एक भी नहीं !

गुरु की महिमा वेद-पुराणों में बखानी गई है। यहां तक कि गुरु को देवाधिदेव ब्रहमा-विष्णु-महेश समान माना जाता है। विद्यार्थियों को शिक्षा और संस्कारों का पाठ पढ़ाने वाले गुरुजनों का महात्म्य कहीं से कम नही है। हमारी संस्कृति में गुरुजनों को सम्मानित करने की परंपरा भी रही है। इसी कड़ी में सरकार उत्कृष्ट कार्यो के लिए अध्यापकों को राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कारों से नवाजती है। सुलतानपुर में परिषदीय विद्यालयों में करीब नौ हजार शिक्षक अध्यापन कार्य करते हैं, लेकिन विडंबना की बात है कि विभाग को सम्मानित होने लायक एक भी शिक्षक नहीं मिला। इस बार सिर्फ तीन शिक्षकों के नाम मिले थे, लेकिन प्रदेश स्तर पर यहां से किसी की सिफारिश ही नहीं की गई। राष्ट्रीय व राज्य पुरस्कारों के लिए जिला स्तरीय समिति शिक्षकों का नाम अग्रसारित करती है। इसके तहत शिक्षकों के दो वर्ष की विद्यालय में अकादमिक उपलब्धि, खेल-कूद में भूमिका, नवाचार विधियों के प्रयोग, परीक्षा एवं मूल्यांकन, कक्षाओं में अपनाई गई विधियां, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित लेख समेत 11 ¨बदुओं पर उनके स्तर का आकलन किया जाता है। इन कार्यों में जिन शिक्षकों का सराहनीय प्रयास पाया जाता है, उसका नाम पुरस्कार के लिए भेजा जाता है। राजधानी में 12 व 13 जून को इसके लिए शिक्षकों का साक्षात्कार आयोजित किया गया है। जिसमें शिक्षकों का इन्हीं 11 ¨बदुओं पर मूल्यांकन किया जाएगा, लेकिन सुलतानपुर में एक भी शिक्षक इस लायक नहीं पाया गया। बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार ब्लॉक कार्यालयों से सिर्फ तीन शिक्षकों का नाम पुरस्कार के लिए भेजा गया था, पर वे मानक पर सही नहीं पाए गए।

ब्लाकों से तीन अध्यापकों का नाम आया था, बीएसए ने नहीं भेजी किसी की सिफारिश आज होना है शिक्षकों का साक्षात्कार सूची में नाम न होने से जिल के शिक्षकों में निराशा
केवल तीन शिक्षकों के नाम पुरस्कार के लिए आए थे। उनका कामकाज बेहतर नहीं था। बदनामी न हो, इस नाते उन नामों की सिफारिश नहीं भेजी गई।

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