9 जून को माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा यूपी बोर्ड परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया गया। इसमें उन छात्रों के भी परिणाम शामिल हैं, जो 24 मार्च को राजधानी के आरबीएम लोनापुर स्कूल में सामूहिक नकल में पकड़े गए थे। मामला बेहद संजीदा था। इस मामले में स्कूल के प्रधानाचार्य और शिक्षक को जेल भी जाना पड़ा था।
शिक्षा व्यवस्था में सुधार मुख्यमंत्री योगी की प्राथमिकता है। विभाग में सुधार के लिए कई बार स्पष्ट बयान भी सामने आते रहे। मगर शिक्षा विभाग पर सीएम के निर्देशों का खास असर नहीं पड़ा। सामूहिक नकल में लिप्त पाए गए छात्रों का भी माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा परीक्षा परिणाम जारी कर दिया गया। ऐसी स्थिति में विभागीय अधिकारियों की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं।
यह था मामला : यूपी बोर्ड परीक्षाओं के दौरान 24 मार्च को इण्टरमीडिएट की रसायन विज्ञान की परीक्षा थी। दूसरी पाली की परीक्षा के दौरान आरबीएम लोनापुर में विजडम वे प्रोग्रेसिव इण्टर कॉलेज के छात्र परीक्षा में शामिल हुए। परीक्षा के दौरान निरीक्षण के लिए सचल दल स्कूल पहुंचा। सचल दल को परीक्षा केंद्र पर सामूहिक नकल की गतिविधियों संचालित मिली। सूचना पर पहुंचे तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक उमेश त्रिपाठी को पड़ताल के दौरान सामूहिक नकल की पुष्टि हुई। उन्होंने 30 छात्रों को सामूहिक नकल में लिप्त पाए जाने पर उनके परीक्षा निरस्त करने की संस्तुति परिषद से की थी। साथ ही स्कूल के प्रिंसिपल और एक शिक्षक के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कर उन्हें जेल भी भेजा गया था।
⚫ विभाग के आपसी विरोध के चलते परीक्षा व परिणाम दोनों पर उठे सवाल
⚫ रिजल्ट से पहले अधिकारियों ने कड़ी कार्रवाई का भरा था दम
परीक्षा के दौरान क्या कहाअब बदल गए सुर
कार्रवाई के दौरान करीब 30 छात्र नकल में शामिल मिले हैं। इनकी पुन:परीक्षाएं होंगी।- उमेश त्रिपाठी, तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक
संस्तुति मिलते ही परीक्षा निरस्त होगी। - शैल कुमारी, सचिव
माध्यमिक शिक्षा परिषदसामूहिक नकल के मामले में शिक्षक पर कार्रवाई की जाती है। न कि छात्रों पर। अगर छात्र नकल में लिप्त पाए गए थे तो उन्हें तत्काल निष्कासित किया जाना था। - शैल कुमारी, सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद
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