रामपुर निज संवाददाताकुछ साल पहले तक गांव-गांव स्कूल खोलने पर जोर दिया जा रहा था, लेकिन अब स्कूल बंद किए जाने की नौबत आ गई है। सरकारी स्कूलों में लगातार छात्रसंख्या घटती जा रही है, जिसके कारण स्कूल बंदी के कगार पर पहुंच गए। बेसिक शिक्षा तरक्की की बुनियाद है। इसकी मजबूती के लिए तमाम जतन किए जा रहे हैं। गांव-गांव स्कूल खोले गए हैं। शिक्षकों को मानक के हिसाब से तैनात किया जा रहा है। बच्चों को किताबें, ड्रेस, छात्रवृत्ति, साईकिल, लाईब्रेरी आदि की तमाम सुविधाएं दी जा रही हैं, फिर भी परिषदीय स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिर रहा है। इतना ही नहीं, लोगों का विश्वास भी सरकारी स्कूलों से उठता जा रहा है। यही कारण है कि निजी स्कूलों में लगातार बच्चों की संख्या बढ़ रही है और सरकारी स्कूलों में छात्रसंख्या कम होती जा रही है। जब बच्चे शिक्षकों के मानक से कम हो जायेंगे तो स्कूल बंद करने की नौबत आ जाएगी। बीएसए सर्वदानंद ने प्राथमिक शिक्षक संघ, जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के पदाधिकारियों की बैठक ली। कहा है कि शिक्षक मेहनत करें, जनता में विश्वास पैदा करें और छात्र संख्या बढ़ाएं। यदि ऐसा नहीं कर सकते हैं तो बच्चों के साथ शिक्षकों के पद भी कम हो जायेंगे और स्कूल बंदी के कगार पर पहुंच जायेंगे। शिक्षक को पद बचाना है तो बच्चों की संख्या बढ़ाना होगी।
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