अर्से से झंझावत ङोल रहे मॉडल स्कूलों के संचालन के रास्ते प्रशस्त करने की नई कवायद हुई है। इन शिक्षण संस्थानों को नया नाम दिया गया है तो शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए रिटायर शिक्षकों का सहारा लिया जाएगा। सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हुए शिक्षकों के सहारे संचालन करने के लिए 15 जुलाई तक का समय दिया गया है। शासन के इस निर्णय के बाद मॉडल स्कूल किस तरह से संचालित होंगे यह तो आने वाला समय ही बता पाएगा।
मॉडल स्कूल बनाकर ग्रामीणांचल के नौनिहालों को हाई क्लास शिक्षा दीक्षा देने का सपना वर्ष 2010-11 में देखा गया था। इसके लिए शासन ने 3 करोड़ 2 लाख रुपये की लागत से प्रति इमारत बनवाई गई थी। संचालन को लेकर समय समय पर बदलाव होते रहे हैं लेकिन संचालन नहीं हो सका। सूबे में सरकार बदलने के बाद शिक्षा निदेशक अमरनाथ वर्मा ने हाल ही में आदेश जारी कर इनके संचालन को हरी झंडी दी है। शिक्षा निदेशक ने इन शिक्षण संस्थानों का नामकरण करते हुए पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल स्कूल कर दिया है। शिक्षकों की तैनाती के लिए रिटायर शिक्षकों को रखने की हरी झंडी दी है।
मॉडल स्कूलों का संचालन इसी सत्र से हो जाएगा। लिपिक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कहां से आएंगे शासनादेश में इसका जिक्र तक नहीं है। इसके साथ ही सत्र अप्रैल में शुरु हो चुका है छात्र-छात्रएं का प्रवेश कैसे होगा इसको लेकर उहापोह बना हुआ है। डीआईओएस ने बताया कि शासन की गाइड लाइन का पालन करते हुए स्कूलों का संचालन कर दिया जाएगा। 15 जुलाई तक रिटायर शिक्षक आवेदन कर सकते हैं। इसके बाद परीक्षण करके तैनाती दी जाएगी।
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