जागरण संवादाता, बरेली: एचआइवी ग्रसित मरीजों की अगली पीढ़ी को शिक्षित करने का जिम्मा भी सरकार ने लिया है। राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत खतरनाक एचआइवी से पीड़ित परिवार के बच्चों को 12वीं कक्षा तक निश्शुल्क शिक्षा दी जाएगी। वह अपने नजदीकी स्कूल में बच्चे को दाखिला दिला सकेंगे। वो चाहे तो पास के किसी भी स्कूल में बच्चे के पढ़ा पाएंगे। इस योजना के अंतर्गत मंडल में 19 बच्चों का चयन किया गया है। 1पांच से सात साल के 19 बच्चों का चयन : जिला अस्पताल में संचालित एआरटी सेंटर के रिकार्ड के मुताबिक मंडल में करीब दो हजार एचआइवी ग्रसित मरीज हैं। इनमें से बच्चों की संख्या करीब 65 है, जिनमें 19 बच्चे पांच से सात वर्ष की उम्र के हैं। इन बच्चों में करीब 90 फीसद के माता-पिता इस बीमारी से पीड़ित हैं। बीते दिनों एआरटी सेंटर से इन बच्चों की सूची बनाकर डीएम के माध्यम से शिक्षा विभाग को भेजी गई। सभी ने दाखिले के लिए ऑनलाइन आवेदन कर दिए हैं। 1पहचान रखनी होगी गोपनीय1राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत एचआइवी पॉजिटिव दंपतियों के बच्चों को कक्षा बारहवीं तक निश्शुल्क शिक्षा दी जानी है। एक्ट के मुताबिक एक किलोमीटर दायरे में पढ़ने वाले प्राइवेट स्कूल को भी उनके बच्चों को निश्शुल्क दाखिला देना होगा। इतना ही नहीं स्कूल प्रबंधन को इन बच्चों की पहचान भी गोपनीय रखनी होगी। इसकी पूरी जिम्मेदारी विद्यालय की होगी।एचआइवी ग्रसित 19 परिवारों ने अपने पांच से सात साल तक के बच्चों के स्कूल में दाखिले कराने को आवेदन किया है। उनके नामों की सूची बनाकर डीएम कार्यालय भेज दी गई है। शिक्षा विभाग को इन बच्चों का दाखिला करवाना है। 1मनोज वर्मा, डाटा मैनेजर, एआरटी सेंटर 11- आरटीई कोटे में प्रवेश पाने वाले बच्चों की सूची खंड शिक्षा अधिकारियों को भेज दी गई है। उनमें एचआइवी ग्रसित के बच्चे भी शामिल होंगे। बच्चों की चयन प्रक्रिया चल रही है। 1शशि देवी शर्मा, एडी बेसिक
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