संवाददाताशहर के बड़े अंग्रेजी स्कूलों को भी अब गरीब बच्चों की फिक्र होने लगी है। प्रदेश में बदले राजनीतिक माहौल का नतीजा है कि नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) 2009 के तहत इस बार रिकार्ड 581 बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला मिला है। खास बात यह कि दाखिला देने वालों में कई नामी-गिरामी अंग्रेजी स्कूल भी शामिल हैं।आरटीई के अनुसार निजी स्कूलों को प्री-प्राइमरी व कक्षा एक की 25 फीसदी सीटों पर अलाभित और दुर्बल वर्ग के बच्चों को प्रवेश देना अनिवार्य है। प्रत्येक बच्चे के लिए प्राइवेट स्कूलों को राज्य सरकार 450 रुपये प्रतिमाह तक फीस देती है। इतना ही नहीं किताब और यूनिफार्म के लिए प्रत्येक बच्चे को हर साल पांच हजार रुपये तक अलग से दिया जाता है।इलाहाबाद में दो साल पहले आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए नि:शुल्क प्रवेश प्रक्रिया शुरू हुई। 2015-16 में 97 और 2016-17 में 247 बच्चों को दाखिला दिलाया गया।
गरीब बच्चों को शहर के कई बड़े स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश मिला है। गंगा गुरुकुलम फाफामऊ, जगत तारन गोल्डन जुबली स्कूल, श्री महाप्रभु पब्लिक स्कूल, डीपी पब्लिक स्कूल एलनगंज, इलाहाबाद पब्लिक स्कूल, बाल भारती स्कूल सिविल लाइंस, ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर, एमएल कान्वेंट, न्यू आरएसजे पब्लिक स्कूल झूंसी स्कूलों ने दाखिला दिया है।
आईपीएम इन्टरनेशनल स्कूल में जूनियर कक्षा के बच्चों को पढ़ाती शिक्षिका।
आरटीई-09 के तहत गरीब बच्चों को उनके निवास स्थान के आसपास के निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने की व्यवस्था है। आसपास की परिभाषा के अंतर्गत वार्ड (स्थानीय निकाय अर्थात ग्राम पंचायत, नगरपंचायत, नगरपालिका या नगर निगम) को इकाई समझा जाता है।
पिछले साल की तुलना में इस साल दोगुने से अधिक दुर्बल समूह के बच्चों को निजी स्कूलों में आरटीई के तहत दाखिला दिलाया गया है। -संजय कुमार कुशवाहा, बीएसए
गरीब बच्चों को शहर के कई बड़े स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश मिला है। गंगा गुरुकुलम फाफामऊ, जगत तारन गोल्डन जुबली स्कूल, श्री महाप्रभु पब्लिक स्कूल, डीपी पब्लिक स्कूल एलनगंज, इलाहाबाद पब्लिक स्कूल, बाल भारती स्कूल सिविल लाइंस, ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर, एमएल कान्वेंट, न्यू आरएसजे पब्लिक स्कूल झूंसी स्कूलों ने दाखिला दिया है।
आईपीएम इन्टरनेशनल स्कूल में जूनियर कक्षा के बच्चों को पढ़ाती शिक्षिका।
आरटीई-09 के तहत गरीब बच्चों को उनके निवास स्थान के आसपास के निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने की व्यवस्था है। आसपास की परिभाषा के अंतर्गत वार्ड (स्थानीय निकाय अर्थात ग्राम पंचायत, नगरपंचायत, नगरपालिका या नगर निगम) को इकाई समझा जाता है।
पिछले साल की तुलना में इस साल दोगुने से अधिक दुर्बल समूह के बच्चों को निजी स्कूलों में आरटीई के तहत दाखिला दिलाया गया है। -संजय कुमार कुशवाहा, बीएसए
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