जागरण संवाददाता, लखनऊ : गरीब बच्चों की शिक्षा पर सुप्रीम कोर्ट से लेकर सरकार तक सख्त है। समय पर दाखिले के साथ, बच्चों को सभी सुविधाएं मुहैया हों, इस बात के भी स्पष्ट निर्देश हैं। बावजूद इसके गरीब बच्चों के दाखिले को लेकर बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) लापरवाही बरत रहे हैं। जुलाई का आधा माह बीतने को हैं। मगर आठ हजार बच्चों में महज एक हजार ही दाखिले हो सके हैं।1मालूम हो कि के तहत राजधानी में करीब 15 हजार से अधिक बच्चों ने आवेदन किया था। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा शुरुआत से ही प्रक्रिया में हीलाहवाली दिखी। विभाग द्वारा 25 अप्रैल को जारी पहली सूची में करीब 2606 नाम शामिल किए गए। इनमें करीब 600 बच्चों के ब्योरे में विभागीय लापरवाही के चलते गड़बड़ी सामने आई। गंभीर बात रही कि सही ब्योरे वाले बच्चों को भी विभाग द्वारा दाखिला नहीं दिलाया जा सका।1वहीं, आवेदन करने वाले अन्य बच्चों को विभाग द्वारा जारी की जाने वाली दूसरी सूची के लिए करीब दो माह इंतजार करना पड़ा। विभाग ने दूसरी और तीसरी सूची 2 जुलाई को जारी की। इस सूची में भी विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई। किसी को मांगा हुआ स्कूल नहीं मिला, तो किसी को कोसों दूर भेज दिया।1यही नहीं निजी स्कूल दिए जाने की व्यवस्था पर सरकारी स्कूल ही थमा दिया गया। विभाग की सुस्त व लापरवाही भरे रवैया का ही कारण रहा कि 11 जुलाई तक महज एक हजार बच्चों को ही निजी स्कूलों में दाखिला मिल सका। वहीं स्कूलों की दलील हैं कि बीएसए से दाखिला संबंधी आदेश नहीं मिला है। आदेश का इंतजार किया जा रहा। आदेश के बाद ही वह दाखिला लेंगे। 1दाखिला तो दूर, सुनवाई तक नहीं हो रही : के तहत हजारों बच्चे महीनों से दाखिला पाने की आस लगाए बैठे हैं। मगर बेसिक शिक्षा विभाग दाखिला तो दूर अभिभावकों से जुड़ी समस्याओं को सुनने के लिए तैयार नहीं। अभिभावकों को कहना है कि कार्यालय समय के दौरान स्टाफ सीधे मुंह बात नहीं करता, वहीं बेसिक शिक्षा अधिकारी मिलने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता हैं।1 सूची में करीब आठ हजार बच्चे हैं। इनमें 1400 बच्चों के दाखिले हो चुके हैं। स्कूलों को 31 जुलाई तक हर हाल में दाखिला लिए जाने के लिए कहा गया है।1प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए
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