स्कूल खुले 17 दिन हो चुके हैं। वहीं सफाई कर्मियों का कोई अता-पता नहीं है। स्कूलों में गंदगी है तो मास्साब व रसोइयों को कागज के टुकड़े व बच्चों की पेंसिल की छीलन को साफ करना पड़ रहा है। और तो और स्कूल के बाहर जो पेड़ के पत्ते गिर जाते हैं उन्हें भी यही सब एक जगह इकट्ठा करने पर मजबूर हैं।
गुरुजी को जब सफाई करते बच्चे देखते हैं तो वह भी हाथ में झाड़ू पकड़ लेते हैं। वहीं जिनके ऊपर साफ-सफाई की जिम्मेदारी है तो वह तो अफसरों के रहमोकरम से आफिस में मौज काट रहे हैं। 30 जून को सभी सफाई कर्मियों को दिशा-निर्देश दिए गए थे कि स्कूल में साफ-सफाई के लिए सफाईकर्मी गांव में मौजूद रहेंगे। स्कूल खुलने से पहले सफाई कर्मी स्कूल के बाहर की सफाई कर अंदर की सफाई करेंगे। प्रसाधन को चकाचक रखा जाएगा लेकिन यह निर्देश धरे के धरे रह गए। स्कूल खुल गए हैं लेकिन सफाईकर्मी लापता चल रहे हैं। इन हालात में स्कूल की साफ-सफाई शिक्षक व रसोइयों को करना पड़ रहा है। शिक्षक व रसोइया शौचालय तो साफ करेंगे नहीं, ऐसे में शौचालय गंदगी से भरे हुए हैं।
मैने अभी कार्यभार संभाला है। सफाई कर्मियों को स्कूलों में सफाई के निर्देश दिए गए हैं लेकिन यदि सफाई कर्मी नहीं पहुंच रहे हैं तो जांच कराकर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। चंद्र किशोर वर्मा, कार्यवाहक डीपीआरओ
सफाई कर्मी स्कूल की सफाई नहीं करते यह बहुत गलत है। किसी भी गांव की स्वच्छता का आंकलन उसके प्राथमिक स्कूल की साफ-सफाई से होता है। इस बारे में डीपीआरओ से बात की जाएगी। संजय शुक्ल बीएसए
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