सरकारी स्कूलों में कक्षा 8 तक पढ़ने वाले नौनिहालों के लिए लागू नि:शुल्क किताब वितरण योजना औंधे मुंह गिरी पड़ी है। नौनिहाल बिना किताब के खाली हाथ आने जाने को मजबूर हैं। मामला शासन स्तर का होने के चलते स्थानीय जिम्मेदार पल्ला झाड़ लेते हैं। बीते साल की तर्ज पर इस साल भी योजना की बदहाली रुकने का नाम नहीं ले रही है। अप्रैल माह से शुरू हुए सत्र में चार माह का समय बीत चुका है। इसके बाद हर बच्चे के हाथ में किताब देने का प्रबंध धरातल पर सफल नहीं हो पाया है। बेसिक शिक्षा के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक तथा माध्यमिक शिक्षा में कक्षा 8 तक पढ़ने वाले बच्चों को शासन की तरफ से नि:शुल्क किताबों के वितरण की योजना है। शासन की इस योजना को धरातल पर क्रियान्वित करने के लिए जिले से 14,22,775 किताबों की आपूर्ति का मांग पत्र भेजा गया था। एक खेप आने के बाद यह मांग पत्र शासन स्तर से पूरी नहीं हो पाई है। पहले चरण की खेप में जिले को महज 4,14,114 किताबों की खेप मिल पाई थी। नि:शुल्क वितरण योजना की 51 किताबों में अभी तक बच्चों के हाथ में 12 किताबों की पहुंच पाई है। आधे अधूरे ज्ञान से बच्चों को संवारने का काम किया जा रहा है। शासन से मिलने वाली योजना के चलते अभिभावक भी बच्चों को किताबें नहीं खरीदते हैं। साथ ही यह किताबों बाहर मिलना भी नहीं है। जिसके चलते शासन के नारे सभी पढ़ें-सभी बढ़ें की हवा निकल रही है। बीएसए शिवेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि शासन से बराबर संपर्क साधा जा रहा है। पत्रचार भी किया जा रहा है। जिससे कि बचे हुए समय में जल्द से जल्द किताबें हाथ में पहुंचाई जा सकें। 1इन किताबों की हुई आपूर्ति : सरकारी स्कूलों में बच्चों के बीच नि:शुल्क किताबों के वितरण के लिए आई खेप में कक्षा 1 में कलरव, कक्षा 2 व 3 में आपूर्ति नहीं, कक्षा 4 में कलरव, गिनतारा, रैंबों, संस्कृत पीयूषम, कक्षा 5 में गिनतारा, संस्कृत पीयूषम, रैंबों, कक्षा 6 में आओ समङों विज्ञान, कक्षा 7 में वर्तिका, रैंबो तो कक्षा 8 में मंजरी, गणित, आओ समङों विज्ञान किताबों की आपूर्ति आई थी। जिसे ब्लाकों के माध्यम से बच्चों में वितरित करा दिए जाने का दावा किया जा रहा है। 1जाग
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