इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा महकमे के अहम पदों पर जूनियर अफसरों की तैनाती के मुद्दे को तूल देने की तैयारी है। वरिष्ठ अफसरों ने कोर्ट ने हलफनामा दिया था कि अब अफसर वरिष्ठता के आधार पर ही नियुक्त होंगे, उसी को कोर्ट को जल्द ही चुनौती दी जा सकती है। साथ ही कई जिलों में ‘दागी’ अफसर भी तैनात हो गए हैं वह भी तबादला प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगाकर सिरदर्द बढ़ा रहे हैं।
माध्यमिक शिक्षा विभाग में शासन ने बीते 22 व 30 जून को तमाम बदलाव किया है। कई जिलों के जिला विद्यालय निरीक्षकों के साथ ही अन्य पदों पर भी फेरबदल हुआ है। इसमें कुछ को छोड़कर ज्यादातर की तैनाती को लेकर विभागीय अफसर ही अचरज में हैं यह सब कैसे संभव हुआ है। बड़ी संख्या में जूनियर अधिकारियों को अहम पद दिये गये हैं और कुछ को तो दो-दो मंडलों का प्रभार मिला है। यही नहीं कुछ ऐसे भी अफसर हैं जिनको जिलाधिकारी ने अपने जिले में कार्यभार ग्रहण कराने से मना किया तो दूसरे जिलों में मनचाही तैनाती पा गए।
शासन ने महकमे के बड़े पद पर बदलाव कर दिया है इससे मातहत अफसरों के चेहरे खिले हैं उनका मानना है कि अब उन्हें न्याय मिल सकता है। यह भी माना जा रहा है कि इसके लिए विभागीय गुहार लगाने के बजाय न्यायालय का रास्ता सबसे बेहतर होगा। विभाग में यह भी चर्चा तेज है कि बड़े पदों पर ऐसे अफसर काबिज हैं, जो सरकार की मंशा के अनुरूप कामकाज कराने के बजाय अपनों को ही तैनाती दिलाने में जुटे रहे हैं। अनदेखी के कारण ही यूपी बोर्ड के विद्यालयों में किताबों का संकट खड़ा हुआ है, जिसका हल अब तक नहीं निकाला जा सका है।
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