इलाहाबाद वरिष्ठ संवाददातायूपी बोर्ड के हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के मूल रिकार्ड बदलकर जालसाजी से राजकीय विद्यालयों में अयोग्य लोगों को शिक्षक पद पर नियुक्ति दिलाने के आरोपित बाबुओं को शिक्षा विभाग के अफसर बचा रहे हैं। एलटी ग्रेड के 6645 सहायक अध्यापकों की भर्ती में हुए इस फर्जीवाड़े का खुलासा अक्तूबर 2016 में हुआ था।तत्कालीन संयुक्त शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इलाहाबाद क्षेत्रीय कार्यालय के तकरीबन आधा दर्जन बाबुओं को जालसाजी का आरोपित माना था लेकिन इतनी बड़ी जालसाजी के आरोपितों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। जबकि साठगांठ से नौकरी पाने वाले मंडल के सात शिक्षकों को नौकरी से बर्खास्त करते हुए एफआईआर भी दर्ज करा दी गई थी।एकेडमिक रिकार्ड के आधार पर अक्तूबर 2014 में 6645 एलटी ग्रेड भर्ती शुरू हुई थी। यूपी बोर्ड के इलाहाबाद क्षेत्रीय कार्यालय के बाबुओं ने कुछ अभ्यर्थियों से साठगांठ कर टैबुलेशन रिकार्ड या टीआर (बोर्ड के पास सुरक्षित 10वीं-12वीं के मूल दस्तावेज) और स्कूलों की मिलीभगत से स्कूलों में रखे मूल रिकार्ड को बदल दिया। दागी बाबू अपने मंसूबे में कामयाब हो गए और फर्जीवाड़ा करके बढ़ाए गए नंबर के आधार पर अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापक की नौकरी भी मिल गई थी। लेकिन एक अन्य शिक्षक के रिकार्ड के सत्यापन के दौरान इस पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया। ‘हिन्दुस्तान’ ने 13 अक्तूबर 2016 के अंक में फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। इसके बाद मंडल में नियुक्त सात शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया था।
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