सरकार शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की बात कर रही है। वहीं, अफसरों ने इसे पटरी से उतारने का जिम्मा लिया है। यही कारण है कि शहर में जेडी, डीडीआर, डीआइओएस, एडी बेसिक से लेकर बीएसए तक आधा दर्जन अफसरों की भरमार है, जिनकी नाक के नीचे ये अमान्य विद्यालय चल रहे हैं। ताला इसलिए नहीं लगाते कि अधिकांश विद्यालय से मोटा कमीशन मिल जाता है, जो नीचे से लेकर ऊपर तक के अफसरों तक पहुंचता है। इसलिए, शिक्षा विभाग के अफसरों को शासन-प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधि तक के आदेशों की परवाह नहीं है। कार्रवाई की बात आई तो गुरुवार को अधिकारियों ने कुछ जगह नोटिस चस्पा कर रस्म अदायगी की।
एसी से निकल मैदान में उतरे ही नहीं अधिकारी इस बार भी बीएसए चंदना राम इकबाल यादव ने पत्र तो कई जारी किए, जबकि हकीकत ये है कि एसी से निकलकर अधिकारी मैदान में गए ही नहीं। जनपद के प्रत्येक ब्लॉक में सैकड़ों अमान्य विद्यालय अधिकारियों से मिलीभगत से खुलेआम चल रहे हैं।
शेरगढ़ में छापेमारी कर निभाई औपचारिकता गुरुवार को मात्र शेरगढ़ में खंड शिक्षाधिकारी देवेश राय ने नगला भट्टा के पास स्थित अमान्य स्कूल भवन पर, कृष्णा पब्लिक स्कूल, इस्लामिक मदरसा वसुधरन जागीर, डिसेंट, लिटिल एंजिल्स पब्लिक, सहोड़ा शीशगढ़ आदि अमान्य स्कूलों पर छापेमारी की। नोटिस चस्पा कर औपचारिकता पूरी की। छापामार टीम में बीआरसी कांता प्रसाद, एबीआरसी सरल कुमार व शिव स्वरूप शर्मा शामिल रहे।
सर्वे की बजाय सौंप दिए पुराने आकड़े आलम ये है कि आलमपुर जाफराबाद, दमखोदा, शेरगढ़ ब्लॉक के खंड शिक्षाधिकारियों का डाटा पहले से ही तैयार था। इंतजार तो बस बीएसए के आदेश का था।
आदेश जैसे मिलेगा सूची सौंप देंगे, उन्होंने किया भी वही। स्कूलों का सर्वे कराने की बजाय शेरगढ़ में 51, दमखोदा में 38, आलमपुर जाफराबाद में 32, अमान्य विद्यालयों के पुराने आंकड़े ही भेज दिए। इसमें कई विद्यालय तो ऐसे मिले जो मान्यता ले चुके थे। कईयों ने बंद होने की सूचना दी थी, लेकिन जो नए खुले हैं, उनकी अफसरों को जानकारी तक नहीं है।
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