जागरण संवाददाता, बरेली : एक अप्रैल से चालू हुए शैक्षिक सत्र का साढ़े चार माह से ज्यादा समय गुजर चुका है। जबकि अब तब सिर्फ 20 फीसदी किताबें ही विद्यार्थियों को मिल सकी हैं। पड़ताल की गई कि तो पता चला कि बच्चों का ज्ञान ब्लॉक संसाधन केंद्र और स्कूलों के बीच में फंसा पाया गया। क्योंकि जिला स्तर से सभी पुस्तकों को ब्लॉक संसाधन केंद्र एवं नगर संसाधन केंद्रों पर भेज दिया गया है। लेकिन उन्हें विद्यार्थियों तक नहीं पहुंचाया जा सका है। ऐसे में गुणवत्तापरक शिक्षा के दावे फेल होते नजर आ रहे हैं। 1स्कूल तक पहुंचाने का मिलता है किराया : निश्शुल्क वितरित होने वाली पुस्तकों को स्कूल तक पहुंचाने का किराया मिलता है। लेकिन इन पुस्तकों को ब्लॉक संसाधन केंद्र तक ही भेजा जाता है। वहां से ले जाने की जिम्मेदारी गुरुजनों की होती है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष मुकेश सिंह का कहना है कि किताबों को स्कूलों तक पहुंचाया जाना चाहिए। इस मांग को लेकर बीएसए से वार्ता की जाएगी।
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