आरटीई के तहत इस साल 14,000 आवेदन आए हैं, जो प्रदेश के हर जिलों से ज्यादा है। बीएसए प्रवीण मणि त्रिपाठी ने बताया कि इसमें 8300 बच्चे दाखिले के लिए पात्र पाए गए हैं। जिसमें 7000 बच्चों के दाखिले स्कूलों में हो चुके हैं। जबकि शेष दाखिले प्रक्रिया में जल्द ही उनके भी दाखिले कराए जाएंगे।
इस तरह बढ़ा ग्राफ
साल आवेदन दाखिले स्कूल
2014 5 4 1
2015 2500 700 105
2016 4000 2400 350
2017 14000 7000 1200
4. ठाकुरगंज में रहने वाले रफी अहमद और गुलशन बानो की बेटी नाजिया बानो का दाखिला सेंट जोसफ स्कूल में आरटीई के तहत हुआ है। रफी सब्जी बेचकर गुजारा करते हैं। जिससे इतनी आमदनी नहीं होती कि बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ा सकें। गुलशन ने बताया कि एक बेटे रेहान की उम्र ज्यादा होने के कारण दाखिला नहीं हुआ। ऐसे में हम पास में ही उसे ट्यूशन पढ़ा रहे हैं, क्योंकि स्कूल में पढ़ाने की हमारी हैसियत नहीं है। बेटी को अब जरूर पढ़ाएंगे। आरटीई तहत पढ़ने के बाद आगे भी हम इसे पढ़ाएंगे और डॉक्टर बनाएंगे।
3. पत्रकारपुरम में पान की दुकान चलाने वाले मुन्ना मोदी के बेटे शिवम व बेटी रानी का यहीं के प्रकाश बाल विद्या मंदिर स्कूल में आरटीई के तहत दाखिला हुआ है। बकौल प्रकाश, मेरी इतनी आमदनी नहीं कि दोनों बच्चों को पढ़ा पाता। बड़े निजी स्कूल में तो दाखिला ही नहीं दिला पाते, लेकिन अब दोनों बच्चे पढ़ रहे हैं। स्कूल में जो शिष्टाचार सिखाया जाता है, उसे घर में भी अमल करते हैं। कभी हमारे मुंह से कुछ गलत निकल जाता तो बच्चे तुरंत टोकते हैं।
1. गोमतीनगर में किराये के मकान में रहने वाले दिनेश कुमार व वीरमति के बेटे शिवम को यहीं के स्टडी हॉल स्कूल में दाखिला मिला है। पेशे से ड्राइवर दिनेश ने बताया कि एक महीने में ही मेरा बेटा अंग्रेजी बोलने लगा है। सुबह उठकर हमें गुड मॉर्निंग कहता है। शिक्षक बताते हैं कि पढ़ाई में भी सबसे आगे है। आरटीई से एक उम्मीद तो है कि मेरा बेटा बड़ा होकर अब मेरी तरह ड्राइवर नहीं बनेगा। बाकी इसका जो भी मन होगा मैं इसे बनाऊंगा।
•जीशान हुसैन राईनी, लखनऊ: शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत शहर के हजारों बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला मिला। जिसने उनकी और बच्चों की जिंदगी बदल गई है। दाखिले से पहले अंग्रेजी से हिचकिचाने वाले बच्चे अब गुड मॉर्निंग और गुड इवनिंग बोलते हैं। मोहल्ले में भी अब ये बच्चे दूसरों के लिए मिसाल बनते जा रहे हैं। जिससे न सिर्फ अभिभावकों का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है बल्कि बच्चों के बेहतर भविष्य की एक उम्मीद भी उनके अंदर जाग उठी है। ऐसे ही कुछ अभिभावकों की बदली जिंदगी की कहानी पर आधारित एक रिपोर्ट...
आरटीई ने बदल दी जिंदगी, अब सुबह उठकर बेटा बोलता है 'गुड मॉर्निंग'
2. पेशे से इलेक्ट्रीशियन विंध्याचल अग्रहरी व गीता देवी के बेटे शिवांश का आरटीई के तहत इंदिरानगर के लॉर्ड मेहर इंटर कॉलेज में दाखिला हुआ है। 7 हजार रुपये की आमदनी में निजी स्कूल में पढ़ाना इनके लिए ख्वाब था, जिसे आरटीई ने सच कर दिया है। गीता देवी बताती हैं कि उनके बेटे को स्कूल में पढ़ना इतना अच्छा लग रहा है कि वह छुट्टी के दिन भी कहता है मुझे स्कूल छोड़कर आओ। घर आकर स्कूल का होमवर्क सबसे पहले करता है। स्कूल में जो सिखाया जाता है वो हमें भी बताता है। अब खूब अंग्रेजी भी बोलने लगा है।
इस तरह बढ़ा ग्राफ
साल आवेदन दाखिले स्कूल
2014 5 4 1
2015 2500 700 105
2016 4000 2400 350
2017 14000 7000 1200
4. ठाकुरगंज में रहने वाले रफी अहमद और गुलशन बानो की बेटी नाजिया बानो का दाखिला सेंट जोसफ स्कूल में आरटीई के तहत हुआ है। रफी सब्जी बेचकर गुजारा करते हैं। जिससे इतनी आमदनी नहीं होती कि बच्चों को निजी स्कूल में पढ़ा सकें। गुलशन ने बताया कि एक बेटे रेहान की उम्र ज्यादा होने के कारण दाखिला नहीं हुआ। ऐसे में हम पास में ही उसे ट्यूशन पढ़ा रहे हैं, क्योंकि स्कूल में पढ़ाने की हमारी हैसियत नहीं है। बेटी को अब जरूर पढ़ाएंगे। आरटीई तहत पढ़ने के बाद आगे भी हम इसे पढ़ाएंगे और डॉक्टर बनाएंगे।
3. पत्रकारपुरम में पान की दुकान चलाने वाले मुन्ना मोदी के बेटे शिवम व बेटी रानी का यहीं के प्रकाश बाल विद्या मंदिर स्कूल में आरटीई के तहत दाखिला हुआ है। बकौल प्रकाश, मेरी इतनी आमदनी नहीं कि दोनों बच्चों को पढ़ा पाता। बड़े निजी स्कूल में तो दाखिला ही नहीं दिला पाते, लेकिन अब दोनों बच्चे पढ़ रहे हैं। स्कूल में जो शिष्टाचार सिखाया जाता है, उसे घर में भी अमल करते हैं। कभी हमारे मुंह से कुछ गलत निकल जाता तो बच्चे तुरंत टोकते हैं।
1. गोमतीनगर में किराये के मकान में रहने वाले दिनेश कुमार व वीरमति के बेटे शिवम को यहीं के स्टडी हॉल स्कूल में दाखिला मिला है। पेशे से ड्राइवर दिनेश ने बताया कि एक महीने में ही मेरा बेटा अंग्रेजी बोलने लगा है। सुबह उठकर हमें गुड मॉर्निंग कहता है। शिक्षक बताते हैं कि पढ़ाई में भी सबसे आगे है। आरटीई से एक उम्मीद तो है कि मेरा बेटा बड़ा होकर अब मेरी तरह ड्राइवर नहीं बनेगा। बाकी इसका जो भी मन होगा मैं इसे बनाऊंगा।
•जीशान हुसैन राईनी, लखनऊ: शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत शहर के हजारों बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला मिला। जिसने उनकी और बच्चों की जिंदगी बदल गई है। दाखिले से पहले अंग्रेजी से हिचकिचाने वाले बच्चे अब गुड मॉर्निंग और गुड इवनिंग बोलते हैं। मोहल्ले में भी अब ये बच्चे दूसरों के लिए मिसाल बनते जा रहे हैं। जिससे न सिर्फ अभिभावकों का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है बल्कि बच्चों के बेहतर भविष्य की एक उम्मीद भी उनके अंदर जाग उठी है। ऐसे ही कुछ अभिभावकों की बदली जिंदगी की कहानी पर आधारित एक रिपोर्ट...
आरटीई ने बदल दी जिंदगी, अब सुबह उठकर बेटा बोलता है 'गुड मॉर्निंग'
2. पेशे से इलेक्ट्रीशियन विंध्याचल अग्रहरी व गीता देवी के बेटे शिवांश का आरटीई के तहत इंदिरानगर के लॉर्ड मेहर इंटर कॉलेज में दाखिला हुआ है। 7 हजार रुपये की आमदनी में निजी स्कूल में पढ़ाना इनके लिए ख्वाब था, जिसे आरटीई ने सच कर दिया है। गीता देवी बताती हैं कि उनके बेटे को स्कूल में पढ़ना इतना अच्छा लग रहा है कि वह छुट्टी के दिन भी कहता है मुझे स्कूल छोड़कर आओ। घर आकर स्कूल का होमवर्क सबसे पहले करता है। स्कूल में जो सिखाया जाता है वो हमें भी बताता है। अब खूब अंग्रेजी भी बोलने लगा है।
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