सिद्धार्थनगर : पड़ोसी मुल्क नेपाल से हर शैक्षणिक सत्र में भारतीय क्षेत्र के माध्यमिक विद्यालयों में दाखिला लेकर हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों के समक्ष आधार ने संकट खड़ा कर दिया है। स्कूलों में दाखिले के लिए आधार कार्ड अनिवार्य कर दिए जाने से 10वींं और 12वीं में पढ़ रहे नेपाली छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में पड़ गया है। यही हाल नौंवी और 11 वीं में दाखिले के लिए भी है। हालांकि स्कूलों के प्रधानाचार्यो के आग्रह पर जिला विद्यालय निरीक्षक ने माध्यमिक शिक्षा परिषद से इस बारे में दिशा निर्देश मांगा है। अभी तक माकूल जवाब नहीं मिल पाया है। मालूम हो कि पड़ोसी देश नेपाल के सुदूर क्षेत्रों खासकर पहाड़ी इलाकों में शिक्षा की खास व्यवस्था नहीं है। इस कारण हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा में शामिल होने के लिए उन्हें भारतीय क्षेत्र में स्थित इंटर कालेजों में शरण लेना पड़ता है। प्रत्येक वर्ष होने वाली बोर्ड परीक्षा में अकेले सिद्धार्थनगर जनपद में 10 हजार से ज्यादा नेपाली छात्र-छात्राएं सम्मिलित होते थे। यही हाल नेपाल से सटे महराजगंज और कुशीनगर जनपदों की है। वहां भी सीमावर्ती माध्यमिक विद्यालयों में नेपाली छात्र अध्ययन कर रहे हैं। दाखिले के वक्त नेपाली छात्र-छात्राएं भारतीय क्षेत्र में निवास करने वाले रिश्तेदार, परिचितों का पता देते रहे हैं। उसी आधार पर उनका नामांकन होता रहा है। जिला विद्यालय निरीक्षक से विस्तृत जानकारी लेते हुए इस समस्या से निजात के लिए प्रदेश व केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय को भी पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा जाएगा। इस दिशा में उच्चस्तरीय अधिकारियों से दूरभाष पर वार्ता करने की भी कोशिश करूंगा।
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