अंधेरी जिंदगी में भर रहे ज्ञान का उजियारा1किसान के बेटे अमित ने विषम परिस्थितियों में हासिल की तालीम होनहारों की शिक्षा में नहीं आने देते आर्थिक अड़चनप्रमोद सिंह ’ हाथरस 1नौ सदस्यों का किसान परिवार और लालन-पालन के लिए मात्र एक हेक्टेयर जमीन। पिता के ऊपर पांच बच्चों की पढ़ाई का बोझ। आप, अनुमान लगा सकते हैं कि किस तरह पढ़े होंगे बिसावर के अमित प्रताप सिंह। मगर, वे कड़ी मेहनत से पढ़-लिखकर शिक्षक बन गए। चूंकि पीड़ा खुद सही, सो अहसास भी है। इसीलिए उन्होंने मजदूर बच्चों को पढ़ाना अपने जीवन का उद्देश्य बना रखा है। फिलवक्त बिसावर में घुंघरू उद्योग से जुड़े मजदूरों के 25 से ज्यादा बच्चों की पढ़ाई व अन्य खर्चा वे उठा रहे हैं। 1जानें अमित के बारे में: सादाबाद की ग्राम पंचायत बिसावर के रामवीर सिंह के तीन पुत्र व दो पुत्रियों में सबसे बड़े अमित प्रताप सिंह ने कठिन हालात में शिक्षा ग्रहण की। पिता की स्थिति देख उनका दिल भी दुखी होता था। वे बीटीसी कर प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने लगे। वर्ष 2010 में सासनी ब्लाक में सहायक अध्यापक के पद पर तैनाती मिल गई। हालात संभले तो उन्हें क्षेत्र के हालात ने कचोटना शुरू किया। बिसावर में चूंकि घुंघरू बनाने का काम होता है, सो यहां मजदूर वर्ग ज्यादा है। ये लोग बच्चों को पढ़ाने की बजाय उन्हें मजदूरी में लगा देते हैं। इसलिए प्रयास कर वर्ष 2013 में वो अपना तबादला सादाबाद ब्लाक में करा लाए। वर्तमान में उनकी तैनाती प्राथमिक विद्यालय नगला मदारी में हेड मास्टर के पद पर है।
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