■ शिक्षकों का एक से दूसरी यूनिवर्सिटी में तबादला!
■ कमेटी शिक्षकों का सेवाकाल 62 से 65 वर्ष करने पर भी कर रही है मंथन
■ प्रदेश सरकार की ओर से गठित कमेटी ने उच्च शिक्षा में सुधार के लिए शुरू किया विमर्श
अंतर विश्वविद्यालयीय स्थानांतरण पर सरकार कर रही विचार
इलाहाबाद प्रमुख संवाददाताप्रदेश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए शिक्षकों के अंतर-विश्वविद्यालयीय स्थानांतरण और इनकी सेवा अवधि में विस्तार करने पर विचार किया जा रहा है। राज्यपाल की संस्तुति पर प्रदेश सरकार की ओर से गठित कमेटी ने इन दो मसलों समेत उच्च शिक्षा में सुधार के अन्य बिन्दुओं पर मंथन शुरू कर दिया है।राज्यपाल के विधि परामर्शी एसएस उपाध्याय की अध्यक्षता में बनी इस कमेटी ने पिछले दिनों राज्यपाल, जो की राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी होते हैं, को अपनी पहले चरण की रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में कमेटी ने कुलपतियों का कार्यकाल तीन से पांच वर्ष करने, कॉलेजों की संबद्धता की व्यवस्था में व्यापक बदलाव करने और शिक्षकों को दिए जाने वाले असाधारण अवकाश की अवधि को बढ़ाने पर अपने सुझाव दिए हैं। कमेटी दूसरे चरण की रिपोर्ट के लिए जिन बिन्दुओं पर मंथन कर रही है, उसमें शिक्षकों का अंतर-विश्वविद्यालयीय स्थानांतरण सबसे अहम है। अभी विश्वविद्यालय के शिक्षकों के स्थानांतरण की व्यवस्था नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि इस व्यवस्था के होने के उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। कमेटी इसके नकारात्मक और सकारात्मक पक्षों पर विचार अपनी संस्तुति राज्यपाल को देगी।कमेटी प्रदेश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों की सेवा अवधि को 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने के साथ ही शिक्षकों की पदोन्नति को उनके प्रदर्शन एवं छात्रों के परीक्षा परिणाम के सापेक्ष किए जाने के मसले पर भी अपनी रिपोर्ट देगी। कमेटी को प्रदेश के सभी निजी विश्वविद्यालयों की व्यवस्था संचालित करने के लिए एक अधिनियम बनाने के बिन्दु पर भी रिपोर्ट देनी है। अभी सभी निजी विश्वविद्यालयों का अलग-अलग अधिनियम है।
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