नगरीय निकाय चुनाव के मद्देनजर इस बार भी निकायों के वार्डो का आरक्षण चक्रानुक्रम होगा। संबंधित नियमावली के तहत पार्षद-सदस्यों का आरक्षण चक्रानुक्रम करने के संबंध में पूर्व के आदेश का हवाला देते हुए प्रमुख सचिव नगर विकास की ओर से शासनादेश जारी कर दिया गया। जिलाधिकारियों को 18 सितंबर तक आरक्षण संबंधी प्रस्ताव स्थानीय निकाय निदेशालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।
गौरतलब है कि सूबे के 653 नगरीय निकायों (नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों) के 12 हजार से ज्यादा वार्डो का आरक्षण करने के लिए पहले-पहल उत्तर प्रदेश नगर निगम व नगर पालिका (स्थानों और पदों का आरक्षण व आवंटन) नियमावली-1994 बनाकर लागू की गई थी। नियमावली में खामियों पर कोर्ट द्वारा सवाल उठाए जाने के बाद वर्ष 2011 में छठवां संशोधन कर वार्डो का आरक्षण, महापौर-अध्यक्ष की तरह चक्रानुक्रम करने का निर्णय किया गया था। इस संबंध में 25 अप्रैल को तत्कालीन प्रमुख सचिव नगर विकास की ओर से सभी जिलाधिकारियों को आरक्षण नियमावली संबंधी दोनों अधिसूचनाओं की प्रति भेजते हुए कहा गया था कि वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर वार्डो का परिसीमन किया गया है इसलिए किसी वार्ड के पूरी तरह नया होने या वार्ड की जनसंख्या में 50 फीसद से अधिक जनसंख्या के नए क्षेत्र में शमिल होने पर उसे नया वार्ड मानकर उसका आरक्षण किया जाएगा। बुधवार को प्रमुख सचिव नगर विकास मनोज कुमार सिंह ने 25 अप्रैल को जारी शासनादेश के तहत वार्डो के आरक्षण का प्रस्ताव तैयार कर 18 सितंबर तक विशेष वाहक के जरिए हार्ड व साफ्ट कापी में स्थानीय निकाय निदेशालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। नगर निगम, पालिका परिषद व नगर पंचायतों में पिछड़े वर्गो के व्यक्तियों की संख्या पता लगाने के लिए रैपिड सर्वे का काम गुरुवार तक पूरा करने के पहले ही निर्देश दिए जा चुके हैं।
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