सदर कोतवाली क्षेत्र के जसौली गांव में शिक्षा मित्र संतोष कुमार यादव (32) ने बुधवार की सुबह फंदे पर लटककर जान दे दी। वह समायोजन रद होने के बाद शिक्षक से पळ्न: शिक्षा मित्र बनने के कारण पिछले डेढ़ माह से अवसाद में था। परिजन इलाज करा रहे थे, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर विधिक कार्यवाही शुरू कर दी है।
संतोष दो दिन पूर्व अचानक ज्यादा चिड़चिड़ा हो गए। उन्हें समझाने को खास तौर पर बुधवार को उनके मामा पहुंचे थे। मामा समझा-बुझाकर अपने घर को रवाना हुए, मौका पाकर संतोष मकान के ही एक कमरे में पहुंचे और फंदे से झूल गए। दरवाजा बहुत देर बाद भी नहीं खुला तो परिजनों को चिंता हुई। खिड़की से कमरे में देखा गया तो सभी को चीख निकल आई। दरअसल, संतोष फंदे पर झूल रहा था। कमरे का दरवाजा तोड़कर उसे फंदे से नीचे उतारा गया। आनन-फानन में जिला अस्पताल ले जाया गया लेकिन देर हो चुकी थी। पूर्व सांसद रामकिशुन समेत बड़ी तादाद में शिक्षामित्र अस्पताल पहुंचे थे।
रामपुर प्राथमिक विद्यालय में थी तैनाती: संतोष की पहली नियुक्ति गांव के पास नरसिंहपुर प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा मित्र के पद हुई। डेढ़ साल पूर्व ट्रेनिंग के बाद पहली सूची में ही उनका समायोजन सहायक अध्यापक के पद पर शहाबगंज विकास क्षेत्र के रामपुर प्राथमिक विद्यालय में हो गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने समायोजन रद किया तो उनका मानसिक संतुलन कमजोर पड़ने लगा था। संतोष की पत्नी और मां का बेटे की मौत से रो-रोकर बुरा हाल है। घर में इकलौता बेटा होने के कारण सभी के लाडला थे। दो साल की बेटी को तो यह भी नहीं पता था कि उसके सिर से पिता का साया उठ चुका है।शिक्षा मित्र की मौत की सूचना पर पोस्टमार्टम हाउस के बाहर मौजूद भीड़’>>मामा भी नहीं बचा सके, परिजनों ने पहुंचाया अस्पताल >>घर का इकलौता था संतोष, मौत से परिवार पर टूटा दु:खों का पहाड़
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