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Friday, October 6, 2017

अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ (एआइपीटीएफ) के बैनर तले जुटे शिक्षक, हक के लिए बुलंद की आवाज, पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग

देश का भविष्य गढ़ने वालों का ही भविष्य धूमिल

प्राइमरी शिक्षकों ने अपने हक के लिए बृहस्पतिवार को जंतर-मंतर पर आवाज बुलंद की। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ (एआइपीटीएफ) के बैनर तले जुटे शिक्षकों ने कहा कि उन्हें सातवें वेतन आयोग का समुचित लाभ मिले। पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग की। एआइपीटीएफ के अध्यक्ष रामपाल सिंह ने कहा कि शिक्षक प्रत्येक माह अपने वेतन से पैसे इसलिए कटवा रहे हैं, ताकि बुढ़ापे में पेंशन मिले, लेकिन सरकार यह पैसा शेयर बाजार में लगा रही है। शिक्षकों की यह जमा निधि किसी भी समय डूब सकती है।1 रामपाल ने कहा कि पेंशन योजना को लेकर शिक्षकों में भ्रांतियां है। जो राशि वेतन से ली जा रही है, उसका निवेश म्यूचुअल फंड एवं शेयर बाजार में किया जा रहा है। बाजार के रिस्क पर शिक्षकों को पेंशन मिलेगी, यह योजना सही नहीं है। शिक्षकों को मेडिकल छुट्टियां, व ईएल देने की सिफारिश की गई थी, जबकि सिर्फ मेडिकल की छुट्टी देने की बात कही गई है। वेतन में कम बढ़ोतरी की जा रही है। प्रदर्शन में दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान आदि राज्यों के शिक्षक पहुंचे थे। शिक्षकों ने कहा कि यदि उनकी मांगों की ओर ध्यान नहीं दिया गया तो उनका आंदोलन उग्र रूप लेगा।संसद मार्ग पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते प्राइमरी टीचर ’ जागरणशैली खुल्लर, नई दिल्ली : जन्मदाता से ज्यादा महत्व शिक्षक का होता है, क्योंकि वह बच्चे और देश के भविष्य को गढ़ता है। वह खुद बुलंदी पर पहुंचने की ख्वाहिश नहीं रखते, लेकिन इतना जरूर चाहते हैं शिक्षा के मंदिर में वह भी दीया जलाते रहे। जंतर-मंतर पर आयोजित धरने में दिल्ली के ऐसे अध्यापक भी पहुंचे, जिन्हें बड़े-बड़े मुद्दों से नहीं बल्कि छोटी-छोटी जरूरतों से मतलब था। वे अपने भविष्य को सुरक्षित रखना चाहते थे। अध्यापक नावेद कहते हैं कि स्कूलों में जल्द ही नए अस्थायी शिक्षक आ जाएंगे, इसके बाद हम कहां जाएंगे। घर का खर्च कैसे चलेगा। अध्यापिका नीलू कहती हैं कि अस्थायी शिक्षकों को प्रशासनिक तंत्र ने ही नियुक्त किया था। इसके बावजूद उन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। शिक्षक सतीश मकरोलिया कहते हैं कि प्राइमरी शिक्षकों को काफी समय से तवज्जो नहीं दी जा रही है। हमें विभागीय असमानताओं का सामना करना पड़ रहा है। दीपक पंत कहते हैं कि सातवें वेतन आयोग की कई सिफारिशों को लागू नहीं किया गया है। अधिकारियों से लेकर नेताओं तक से संपर्क किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। शिक्षक शमशुद्दीन कहते हैं कि धरना-प्रदर्शन करने पर सिर्फ आश्वासन मिलता है। सविता का कहना है कि डीएसएसएसबी जल्द ही अस्थायी शिक्षकों की नियुक्ति करेगा। इसमें जो आयु सीमा रखी गई है, वह हम लोगों से मेल नहीं खाती है।

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