उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड नहीं कर सका भर्ती
2011 में 900 से अधिक प्रधानाचार्यो की भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी
एडेड कॉलेजों को छह साल में नहीं मिले प्रधानाचार्य
इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की गलतियों का खामियाजा सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों को भुगतना पड़ रहा है। चयन बोर्ड की असफलता का नतीजा है कि एडेड कॉलेजों को पिछले छह साल में एक भी प्रधानाचार्य नहीं मिल सका है। नियमित नियुक्ति नहीं होने के कारण प्रदेशभर के दो हजार से अधिक स्कूल कार्यवाहक प्रधानाचार्यों के भरोसे चल रहे हैं। चयन बोर्ड ने वर्ष 2011 के मध्य में प्रधानाचार्यों के 921 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे थे। तकरीबन 50 हजार शिक्षकों ने आवेदन भी किए थे लेकिन इस भर्ती को लेकर विवाद हो गया। पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष आशाराम यादव ने जून 2014 में 21 दिन पहले कॉल लेटर भेजे बगैर साक्षात्कार शुरू कर दिए। इसे लेकर इलाहाबाद से लेकर लखनऊ तक काफी हंगामा हुआ।वर्तमान में इस भर्ती पर हाईकोर्ट की रोक लगी हुई है। कानपुर मंडल को छोड़कर बाकी के 17 मंडलों का साक्षात्कार पूरा हो चुका है। वहीं दूसरी ओर प्रधानाचार्यों के 500 से अधिक पदों पर 2013 में शुरू हुई नियुक्ति प्रक्रिया भी ठप पड़ी है। 2011 का ही मामला नहीं सुलझ सका है जिसके चलते 2013 के साक्षात्कार शुरू नहीं हो सके।चयन बोर्ड के पास प्रधानाचार्यों के 612 रिक्त पदों की सूचना पड़ी है लेकिन विज्ञापन जारी नहीं हो सका है। इस बीच चयन बोर्ड भंग करने के सरकार के निर्णय के कारण प्रधानाचार्यों की भर्ती फिर से टलती नजर आ रही है। उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और चयन बोर्ड का विलय कर सरकार ने एक संस्था बनाने का निर्णय लिया था। इसी के चलते दोनों संस्थाओं के अध्यक्ष व सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया। लेकिन नई संस्था का कोई पता नहीं चल रहा। बिना वजह हो रही देरी का सबसे अधिक नुकसान उन अभ्यर्थियों को हो रहा है जो ओवरएज होते जा रहे हैं।
No comments:
Write comments