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Friday, October 13, 2017

आयोग के बगैर शिक्षक भर्ती फंसी, डिग्री कालेज में आठ हजार से ज्यादा पदों पर कोई प्रगति नहीं, सरकार आयोग के पुनर्गठन में जुटी

राज्य मुख्यालय :  आरक्षण का विवाद सुलझने के बाद राज्य विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती तो शुरू हो गई लेकिन सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में खाली असिस्टेंट प्रोफेसर के लगभग आठ हजार पदों पर नियुक्ति की दिशा में कोई ठोस प्रगति नहीं हैं। इन कालेजों में समुचित छात्र-शिक्षक अनुपात बनाए रखने के लिए रिटायर शिक्षकों की सेवाएं ली जा रही हैं। प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग के अधीन संचालित 16 राज्य विश्वविद्यालय हैं, जबकि इनसे संबद्ध सहायता प्राप्त अशासकीय डिग्री कॉलेजों की संख्या 331 है।

राज्य विश्वविद्यालय शिक्षकों की नियुक्ति स्वयं करते हैं, जबकि सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग इलाहाबाद करता है।सपा शासन में इस आयोग में अध्यक्ष और सदस्य के पदों पर विवादित नियुक्तियों के कारण भर्ती प्रक्रिया विधिवत शुरू ही नहीं हो पाई।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर अध्यक्ष और तीन सदस्यों को बर्खास्त किए जाने के बाद बनाई गई नई टीम भी कोई काम नहीं कर पाई। भाजपा के शासन में आयोग के अध्यक्ष समेत कई सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया। सरकार अभी आयोग के पुनर्गठन में जुटी हुई है। सपा के शासनकाल में ही सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 1234 नए पद मंजूर किए गए थे। साथ ही कुछ स्ववित्तपोषित विभागों को वित्त पोषित किए जाने के कारण शिक्षकों को विनियमित भी किया गया था।

विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के पदों के आरक्षण के नियम पर विवादों के कारण एक दशक से अधिक समय तक भर्ती बंद रही। अंतत: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्थिति साफ हुई और सपा के शासनकाल में ही इस बाबत शासनादेश जारी किया गया। अब नई सरकार के स्तर से दबाव बनाए जाने के बाद ज्यादातर विश्वविद्यालयों ने असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के रिक्त पदों का विज्ञापन जारी कर दिया है। शिक्षकों की सबसे ज्यादा कमी तो वित्त विहीन डिग्री कॉलेजों में है। प्रदेश में इस समय 5 हजार से ज्यादा वित्त विहीन डिग्री कॉलेज हैं। इन कॉलेजों में लगभग 25 हजार शिक्षकों की कमी है। हालांकि इन कॉलेजों में नियुक्ति का अधिकार प्रबंध तंत्र को ही है।

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