उप्र लोक सेवा आयोग से सपा शासन के पांच साल में हुई सभी भर्तियों की सीबीआइ जांच फिलहाल ठंडे बस्ते में है। करीब ढाई महीने पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आयोग से हुई भर्तियों में धांधली की बात कहते हुए सीबीआइ जांच कराने का एलान किया था। आयोग में अभी इस जांच के लिए कोई अधिकृत जानकारी नहीं पहुंची है, वहीं पूर्व की भर्तियों से संबंधित अभिलेखों को गोपनीय रखा गया है। अखिलेश सरकार में उप्र लोक सेवा आयोग से एक मार्च 2012 से 31 मार्च 2017 तक हुई सभी भर्तियों में एक विशेष जाति के अभ्यर्थियों को अधिक तवज्जो देने, अफसरों पर मनमानी के गंभीर आरोप लगे थे। प्रतियोगी छात्रों ने भी कई चरणों में इसका भारी विरोध किया था। यहां तक कि विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर इलाहाबाद में पुलिस की लाठियां और गोलियां तक चलीं थीं। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 जुलाई को बजट सत्र में एक बड़ी घोषणा करते हुए आयोग से सपा शासन में हुई सभी भर्तियों की सीबीआइ जांच कराने की बात कही थी। उनका एलान था कि कोई भी दोषी बचने नहीं पाएगा। आयोग में कई दिनों से इस जांच को लेकर हलचल तो है, लेकिन अधिकृत रूप से इसे नकारा जा रहा है।
सचिव जगदीश कहते हैं कि सीबीआइ जांच के संबंध में अखबारों में ही पढ़ा है, कोई अधिकृत जानकारी या निर्देश उनके पास नहीं है। कहा कि पूर्व की भर्तियों से संबंधित रिकार्ड गोपनीय हैं। यदि जांच शुरू भी होती है तो टीम अपने स्तर से उसे खंगालेगी। फिलहाल सीबीआइ जांच कब होनी है इसके बारे में उन्हें कुछ पता नहीं है।’ढाई महीने पहले मुख्यमंत्री ने किया था जांच कराने का एलान
’उप्र लोकसेवा आयोग में इसकी अधिकृत जानकारी नहीं पहुंची
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