फतेहपुर : बेसिक शिक्षा में सह ब्लाक समन्वयकों का चयन में की गई धांधली और कमतर हाजिरी के शिकार बीटीसी प्रशिक्षुओं से की गई वसूली की शिकायत के मामले में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) विवादों के घेरे में आ गया है। दोनों मामलों की शिकायत जिले आए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य तक भाजपाइयों द्वारा पहुंचाई गई है। वहीं उगाही से जुड़े मामले में पुलिस की नौकरी के साथ बीटीसी का प्रशिक्षण कराए जाने का मामला अलग से दिया गया है।
बेसिक शिक्षा के स्कूलों में शैक्षिक दशा सुधारने के लिए एबीआरसी के चयन में डायट की पूरी भूमिका रही है। चयन समिति में डायट प्राचार्य अध्यक्ष तो बीएसए सचिव होते हैं। 48 पदों की लिखित और साक्षात्कार प्रक्रिया हुई थी। मामले ने इसलिए भी तूल पकड़ा है कि तमाम कद्दावर भाजपाइयों की नहीं मानी गई है। वहीं चयन से वंचित रह गए लोगों ने खुलकर प्रक्रिया में धांधली बरते जाने का आरोप लगाया है।
सिफारिशों की काट के लिए भी नायाब तरीका अपनाया गया। सिफारिश वाले को दूसरे ब्लाकों में भेज दिया गया। जिससे कि वह ज्वाइन न कर पाए और 15 दिन के भीतर न ज्वाइन करने पर मेरिट लिस्ट के दूसरे प्रतिभागी को ज्वाइन करा लिया जाए। वहीं बीटीसी प्रशिक्षुओं के कमतर गैरहाजिरी के मामले में शिकायत उच्चाधिकारियों तक पहुंची है। जिस पर डीएम ने जांच एडीएम को सौंपी है। डायट प्राचार्य डॉ. आशुतोष दुबे का कहना है कि एबीआरसी चयन प्रक्रिया में पूरी तरह पारदर्शिता अपनाई गई है, जांच होगी तो सच सामने आ जाएगा।
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