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Friday, November 3, 2017

यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में नकल माफियाओं के दखल के कारण संवेदनशील जिलों की संख्या बढ़ रही, निपटने के लिए बोर्ड कोडिंग वाली कॉपियां 50जिलों में करेगा प्रयोग

इलाहाबाद : यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में नकल माफियाओं के दखल के कारण संवेदनशील जिलों की संख्या बढ़ रही है? हाईस्कूल व इंटर 2018 का परीक्षा कार्यक्रम जारी करते हुए बोर्ड सचिव का बयान कुछ ऐसे ही संकेत दे रहा है। लेकिन, हकीकत इससे भी अलग है। बोर्ड प्रशासन की मंशा है कि क्रमांकित यानी कोडिंग वाली कॉपियों पर ही पूरे प्रदेश में परीक्षा हो। उसी दिशा में धीरे-धीरे बढ़ा जा रहा है।


■ पिछले दो वर्षो में 31-31 जिलों में कोडिंग वाली कॉपियों पर हुई परीक्षा

■ इस साल संख्या बढ़कर 50, सभी जिलों को जद में लाने की तैयारी


यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में सामूहिक नकल और कॉपियों की अदला-बदली होने के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। परीक्षा से जुड़े लोगों की मानें तो कई केंद्रों पर केंद्र व्यवस्थापक की मर्जी पर परीक्षार्थी को एक कॉपी मुहैया कराई जाती थी और परीक्षा खत्म होने पर दूसरी कॉपी जमा हो जाती थी। इस पर अंकुश लगाने के लिए बोर्ड ने क्रमांकित कॉपियां मुहैया कराने का रास्ता अपनाया। कुछ वर्ष पहले यह प्रयोग कुछ जिलों में हुआ। पिछले दो वर्षो में प्रदेश के 31 जिलों में पूरी परीक्षा इन्हीं कॉपियों पर हुई है। हालांकि पिछले वर्ष ही कोडिंग वाली कॉपियों के जिलों की संख्या बढ़ाने की तैयारी थी, लेकिन विधानसभा चुनाव की तैयारी में राजकीय मुद्रणालयों के फंसे होने के कारण यह संभव नहीं हो सका। ऐसे में इस बार 50 जिलों में कोडिंग कॉपियां मुहैया कराई जा रही हैं। 



बोर्ड प्रशासन की मानें तो उसकी तैयारी है कि सभी जिलों में इन्हीं कॉपियों पर परीक्षा हो, ताकि परीक्षा की शुचिता बनी रहे, ऐसे में अगले वर्षो में कोडिंग वाली कॉपियों से परीक्षा कराने वाले जिलों की संख्या और बढ़ेगी। कुछ ही वर्षो में सभी जिलों में यही कॉपियां प्रयोग में लाई जाएंगी। नकल रोकने के लिए इस बार सीसीटीवी कैमरे भी लग रहे हैं।



■ बार कोडिंग का प्रस्ताव चला गया ठंडे बस्ते में

यूपी बोर्ड ने कोडिंग से भी बढ़कर कॉपियों की बार कोडिंग का प्रस्ताव इस बार शासन को सौंपा था। तैयारी थी कि दस जिलों में ऐसी कॉपियों पर परीक्षा हो, लेकिन फिलहाल यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में है। बार कोडिंग में कॉपियों पर ऐसा चिन्हांकन होता है, जिसे मोबाइल पर स्कैन करने पर पूरी सूचनाएं सामने आ जाती हैं। इसे बदलना नकल माफियाओं के बस में नहीं है।


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