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Monday, November 27, 2017

कौशाम्बी : एक छात्र के खाने का मासिक बजट तीन हजार, बच्चियों के हिस्से का भोजन हजम कर जा रहे शिक्षा अधिकारी

क्या कहती है अधिकारियों की रिपोर्ट कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्रएं विद्यालय में नहीं रहती। इनके नाम से केवल कागजी कोरम पूरा कर धन निकालने का काम किया जाता है। अधिकारियों की जांच में इसका पर्दाफाश हुआ है। नेवादा खंड विकास अधिकारी अखिलेश तिवारी ने मिश्रपुर दहिया विद्यालय की जांच की। जिसमें उन्होंने पाया कि विद्यालय में 100 छात्रएं पंजीकृत हैं। निरीक्षण के दौरान 58 छात्रएं ही विद्यालय में मिली। अन्य छात्रएं विद्यालय से गायब रही। उनके घर जाने के संबंध में वहां की वार्डन भी कुछ नहीं बता सकी। अर्थ एवं संख्या अधिकारी एसके सिंह ने सरसवां विद्यालय का निरीक्षण किया। उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा कि विद्यालय में 50 छात्रओं की सापेक्ष मात्र 37 बेड ही लगे मिले। जबकि विद्यालय में 100 छात्रओं का पंजीकरण है। जिला पंचायतीराज अधिकारी कमल किशोर ने कड़ा विद्यालय का निरीक्षण किया। जांच में बताया कि विद्यालय में 100 छात्रओं को पंजीकरण है लेकिन 54 छात्रएं आई थी। खंड विकास अधिकारी मूरतगंज श्वेता सिंह ने मूरतगंज विद्यालय का निरीक्षण किया। वहां पर 85 छात्रएं मौजूद थी। छात्रएं और भुगतान पूरा होने पर मामला संदेह पैदा करता है।बच्चों को दी गई विधिक साक्षरता की जानकारीकस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में करीब 40 फीसद छात्रएं नहीं रहती हैं नियमित

जिले के आठ ब्लाकों में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय संचालित हैं। हर विद्यालय में सौ बच्चियां पढ़ती हैं। इन बच्चियों को खाने के अलावा कपड़े सहित सभी सुविधाएं बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से मिलने का प्रावधान है, लेकिन स्कूल की अव्यवस्था के चलते कई बच्चियां रोजाना घर लौट जाती हैं और उन्हें शिक्षा के अलावा कोई अन्य सुविधा नहीं मिलती है। ऐसे में उनको मिलने वाली सुविधाओं की धनराशि का गबन कर ली जाती है। इसका पर्दाफाश पिछले दिनों सीडीओ के निर्देश के बाद विद्यालयों की जांच में हुआ है।

कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में अव्यवस्था का आलम है। पिछले दिनों वहां की गड़बड़ियों को दैनिक जागरण में प्रमुखता से प्रकाशित किया। उसके बाद अफसरों ने इसे गंभीरता से लिया और सीडीओ ने जांच शुरू कराई। जिला स्तर के अधिकारियों ने आठों विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया। अधिकारियों की जांच में विद्यालय से करीब 40 फीसद छात्रएं गायब मिली। इतनी भारी संख्या में छात्रओं के विद्यालय से गायब होने के संबंध में विद्यालय के पास ही कोई उचित जवाब नहीं है। जबकि विभाग की ओर से इनके नाम पर आने वाले धन को निकालकर बंदरबांट कर किया जा रहा है। अगस्त माह तक का भुगतान भी प्रति विद्यालय 100 छात्रओं की दर से निकाल जा चुका है।

एक छात्र के खाने का बजट तीन हजार: कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में रहने वाली हर छात्र को खाने के लिए प्रति दिन 100 रुपये की दर से भुगतान किया जाता है। उनको मिलने वाली अन्य सुविधाओं के लिए अतिरिक्त धन मिलता है। छात्रओं की संख्या अधिक दिखाकर उनके लिए आए धन का बंदरबांट किया गया है।

अधिकारियों के कब्जे में है लेखा-जोखा 
: कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में किसी प्रकार की खरीद व भुगतान होता है तो इसके लिए लेखा-जोखा विद्यालय में नहीं रखा जाता। विभागीय अधिकारी ही इसकी पूरी योजना तैयार करते हैं और खरीद आदि का भुगतान खुद करते हैं। विद्यालयों में लेखाकार होने के बाद भी उनसे काम नहीं लिया जा रहा।नी

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