बीएड कोर्स में आइटी पीजी कॉलेज में पिछले करीब दस वर्षो से मनमाने ढंग से दाखिले किए जा रहे थे। अल्पसंख्यक कॉलेज होने के कारण यह बीएड की कुल 60 में से 30 सीटों पर खुद डायरेक्ट एडमिशन और 30 सीटों पर राज्य प्रवेश परीक्षा की काउंसिलिंग से दाखिला लेने का हकदार है, मगर यह सभी सीटों पर खुद दाखिला लेता आ रहा है।
बुधवार को रजिस्ट्रार प्रो. राजकुमार सिंह के पास नोटिस का जवाब लेकर आइटी कॉलेज के दो शिक्षक आए तो उनके पास कई सवालों के जवाब नहीं थे। रजिस्ट्रार ने पूछा कि कौन सी रिट आपकी ओर से कोर्ट में दायर की गई थी और कि स वर्ष दाखिला लेने की छूट दी गई थी। इस पर वह सीधा जवाब नहीं दे पाए। फिलहाल अब गुरुवार को प्रतिकुलपति प्रो. यूएन द्विवेदी की अध्यक्षता में गठित की गई जांच कमेटी के सामने कॉलेज में बीएड दाखिले से संबंधित सभी तथ्यों को रखा जाएगा। इसके बाद कमेटी अपना निर्णय लेगी। रजिस्ट्रार के अनुसार वर्ष 2007 में यह आदेश दिया गया था और यह एक वर्ष के लिए ही मान्य था। ऐसे में पिछले दस वर्षो से किस तरह दाखिले हो रहे थे यह समझ के बाहर है। यही नहीं नियम के अनुसार बीएड में जिन 30 सीटों पर डायरेक्ट एडमिशन कॉलेज को लेने रहते हैं उनका अनुमोदन भी लविवि से करवाना अनिवार्य है।
इसका अनुमोदन तक नहीं करवाया गया। फिलहाल अब कोई भी अंतिम निर्णय जांच कमेटी लेगी। आइटी कॉलेज में पिछले दस वर्षो से बीएड में दाखिले के लिए यही प्रक्रिया अपनाई जा रही थी। ऐसे में अब पिछले वर्षो की डिग्री मान्य होगी या नहीं इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। लविवि प्रशासन का कहना है कि वह नियमानुसार कार्रवाई करेगा। पिछले वर्षो में हुई गड़बड़ी का भी हिसाब-किताब लिया जाएगा।
रजिस्ट्रार बोले, नोटिस का ढंग से जवाब तक नहीं मिल रहा, फैसला आज
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