इलाहाबाद : परीक्षार्थियों की संख्या के लिहाज से दुनिया के अहम बोर्डो में शुमार यूपी बोर्ड पहली बार चार माह से पदेन सदस्यों के भरोसे संचालित नहीं है, बल्कि इसके पहले 22 वर्षो तक पदेन सदस्य ही व्यवस्था संचालित करते रहे हैं। बोर्ड का पुनर्गठन होने पर सदस्यों की संख्या में भी बड़ा हुआ है। पहले जहां 74 सदस्य होते थे, वहीं अब 25 सदस्य ही बोर्ड संचालित कर रहे हैं।
■ 1978 से 1984 तक पदेन और मनोनीत सदस्यों की संख्या 74 रही
■ 2006 से नए सिरे से हुआ गठन सदस्यों की संख्या घटकर 25 हुई
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी बोर्ड सूबे का सिर्फ अहम शैक्षिक संस्थान ही नहीं है, बल्कि खासा पुराना भी है। 1921 में यह अमल में आया और 1923 से परीक्षाएं हो रही हैं। पहले इलाहाबाद विश्वविद्यालय और कलकत्ता यूनिवर्सिटी की ओर से इसका संचालन होता था। 11978 में पहली बार यूपी बोर्ड का गठन हुआ। तब बोर्ड में 11 अधिकारी, तीन महिला, पांच शिक्षाविद, पांच एमएलए, तीन एमएलसी, एक-एक एनसीईआरटी व सीबीएसई का प्रतिनिधि, 24 मंडलों के एक-एक प्रधानाचार्य व एक-एक शिक्षक, दो राजकीय कालेजों के प्रधानाचार्य, दो शिक्षक एनआइसी से, एक-एक तकनीकी, मेडिकल, कृषि, जिला विद्यालय निरीक्षक, क्षेत्रीय निरीक्षक गल्र्स स्कूल व तीन उद्योग प्रतिनिधि सहित 74 लोगों का बोर्ड होता था।
रामानुज शर्मा बताते हैं कि मंडलों के प्रधानाचार्य व शिक्षक प्रतिनिधि चयन के लिए बाकायदे चुनाव होता था। वह चुनाव मौजूदा दौर के शिक्षक एमएलसी से किसी मायने में कमतर नहीं होता था। उसके लिए बेंगलुरु से अमिट स्याही मंगाई जाती थी। यही नहीं बोर्ड की बैठकें विधानसभा की कार्यवाही की तरह कई-कई दिन तक चली हैं। इसके लिए सीपीआइ सभागार का इस्तेमाल होता था और प्रतिनिधि सीएवी कालेज में रुकते थे।
बोर्ड तीन साल के लिए गठित हुआ दूसरा चुनाव 1981 और तीसरा 1984 में हुआ। उसके बाद तीन माह का सदस्यों को विस्तार मिला। उस समय रुद्र नारायण शर्मा बोर्ड के सचिव थे। उन्होंने सदस्यों के खर्चो की जांच कराई और प्रकरण इस कदर तूल पकड़ा कि प्रतिनिधि व बोर्ड का विवाद कोर्ट तक पहुंचा। इससे आगे चुनाव नहीं हुआ। 12006 में प्रदेश सरकार ने बोर्ड का पुनर्गठन किया, तब मात्र 11 अफसर पदेन व 14 लोगों को मनोनीत किया गया। यह परंपरा अब तक कायम है। बीते 29 अगस्त 2017 को बोर्ड के मनोनीत सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो चुका है, तब से नए सदस्यों का इंतजार है। यह नियुक्तियां सरकार करेगी।
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