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Wednesday, December 6, 2017

वैदिक शिक्षा से दूर होगी ब्लैक मनी की दिक्कत, वैदिक शिक्षा को अनिवार्य बनाया जाने की सिफारिश

केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री सत्य पाल सिंह के मुताबिक सरकार के टॉप अजेंडे में शामिल ब्लैक मनी की दिक्कत वैदिक शिक्षा से दूर हो सकती है। सत्य पाल सिंह चाहते हैं कि वैदिक शिक्षा को अनिवार्य बनाया जाए। मंत्री के मुताबिक इससे छात्र सिर्फ रोजगार के लिए ही तैयार नहीं होंगे बल्कि उनका चरित्र निर्माण भी होगा साथ ही उनमें मातृभूमि के लिए प्रतिबद्धता भी जगेगी। मंत्री सत्य पाल सिंह के प्राइवेट मेंबर बिल में तर्क दिया गया है कि वैदिक शिक्षा जिम्मेदार नागरिक तैयार करती है। जो मौजूदा वक्त के हिसाब से भी जरूरी है। बिल में कहा गया है काले धन से मुक्ति सरकार के अजेंडा में टॉप पर है। अथर्ववेद में इस तरह गलत तरीके से कमाए धन के बारे में कहा गया है कि मुझे ऐसे धन से दूर रखना जिससे मेरी अवनति और अपयश हो, जो मुझे हर तरफ से जकड़े और मुझे परजीवी पौधे की तरह बनाए। मुझे ऐसी दौलत देना जो मुझे शांति और आनंद दे। इसमें कहा गया है कि वैदिक शिक्षा बुराइयों को दूर करेगी। सत्य पाल सिंह के मुताबिक यह बहुत बड़ा मिथ है जो कई सदियों से चला आ रहा है कि वैदिक साहित्य धार्मिक है, जबकि वेद सनातन हैं। सभी धर्मों की जो मूल भावना है वही वैदिक धर्म है। उनके मुताबिक वेद समानता और वैश्विक भाईचारे की बात करते हैं। जीवन के विकास की और तर्कसंगत सोच की बात करते हैं। वेद का ज्ञान जीवन को संपूर्णता से जीने के लिए जरूरी है।

पेंडिंग है बिल : सत्य पाल सिंह ने वैदिक शिक्षा को अनिवार्य बनाने के लिए अप्रैल में लोकसभा में एक बिल पेश किया है जो अभी पेंडिंग है। उन्हें उम्मीद है कि इस दिशा में काम आगे बढ़ेगा। जब सत्य पाल सिंह ने यह बिल पेश किया था उस वक्त वह मिनिस्टर नहीं थे। यह बिल प्राइवेट मेंबर बिल है। बिल का नाम ‘कंपलसरी टीचिंग ऑफ वैदिक शिक्षा इन शिक्षाल इंस्टिट्यूट बिल-2017’ है। केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री के मुताबिक वह चाहते हैं कि सभी शिक्षण संस्थानों में वैदिक शिक्षा को अनिवार्य किया जाए।

मातृभूमि के प्रति प्रतिबद्धता जगाने के लिए : बिल में कहा गया है कि वैदिक काल भारत के इतिहास का सबसे शानदार काल था। इस काल में वैदिक सभ्यता फली फूली। वैदिक कल्चर के वैभव का पता वैदिक लिटरेचर से चलता है। मॉर्डन शिक्षा महज एकेडमिक है, जबकि वैदिक शिक्षा व्यापक है। यह बस रोजगार दिलाने के लिए नहीं होती बल्कि यह व्यक्तित्व निर्माण करती है, सच्चाई, सेल्फ कंट्रोल और अनुशासन जगाती है।

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